कार्तिक माह में दान पुण्य और प्रभु संकीर्तन से मनोवांछित फल की होती है प्राप्ति-पंडित रवि शास्त्री

कार्तिक माह में दान पुण्य और प्रभु संकीर्तन से मनोवांछित फल की होती है प्राप्ति-पंडित रवि शास्त्री
ऋषिकेश- कार्तिक महत्तम में की कथा का श्रवण कराते हुए पंडित रवि शास्त्री ने श्रवणकों को भक्ति रस से सराबोर कर दिया।
रामायण प्रचार समिति के तत्वावधान में तुलसीमानस मंदिर में कार्तिक महत्तम में कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ करते हुए पंडित रवि शास्त्री ने कहा कि कलयुग में ईश्वर की प्राप्ति सत्कर्म और प्रभु की आराधना से ही की जा सकती है। सच्चा संत वही है जो अपने भक्तों को सद मार्ग दिखाएं। अपनी अमृत प्रवचनों में उन्होंने कहा कि भाग दौड़ के जीवन में प्रभु प्राप्ति के लिए आयोजित होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों में सम्मिलित होने का कोई भी मौका नहीं चूकना चाहिए।
कार्तिक महत्तम की कथा कि विधिवत जानकारी देते हुए तुलसीमानस मंदिर अध्यक्ष पंडित रवि शास्त्री ने बताया कि एक मां की कथा के दौरान प्रतिदिन भगवान शालिग्राम की पूजा अर्चना एवं तुलसी माता की पूजा अर्चना की जाती हैं। कार्तिक के महीने में प्रातकाल गंगा स्नान के साथ शालिग्राम जी का अभिषेक तुलसी माता की पूजा का विशेष महत्व है। जो कोई भी भक्त इस महीने मैं व्रत ध्यान पूजा के साथ-साथ ब्राह्मणों को दान पुण्य करता है उसको 100 अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होते है और उसे मनवांछित फल की प्राप्ति भी होती है ।
कथा श्रवण करने वालों में सीमा देवी ,मीना देवी ,सुमति देवी, सत्यभामा, रमाकांत भारद्वाज ,अभिषेक शर्मा, मदन नौटियाल ,दिनेश डबराल, मनमोहन, राजीव लोचन आदि प्रमुख रुप से शामिल थे।