दिव्यता और पवित्रता का संगम हैं शरद पूर्णिमा-स्वामी चिदानन्द

दिव्यता और पवित्रता का संगम हैं शरद पूर्णिमा-स्वामी चिदानन्द
ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर देशवासियों को शुभकामनायें देते हुये कहा कि शरद पूर्णिमा दिव्यता और पवित्रता का संगम है।साधना से ही जीवन में दिव्यता, पवित्रता और पूर्णता भी आती है, सेवा और समपर्ण उसमें चार चांद लगा देते है और फिर जीवन ही शरद पूर्णिमा बन जाता है। शरद पूर्णिमा साधना से सिद्धि प्राप्त करने का पर्व हैं।
आज का दिन पॉजिटिव और माइंडफुल रहने का संदेश देता है। अपनी प्रबल इच्छाशक्ति के साथ जीवन में व्याप्त हर तरह की नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदलने का संदेश देता है। शरद पूर्णिमा का दिन वर्ष में केवल एक बार आता है जब चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त अपने पूर्ण सौन्दर्य में होता है। आज के दिन चन्द्रमा से प्राप्त ऊर्जा को अपने जीवन की तिजोरी में एकत्र कर पूरे वर्ष उसका उपयोग करें।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि चन्द्रमा के प्रकाश में औषधीय गुण होते है और शरद पूर्णिमा के अवसर पर चन्द्रमा के प्रकाश में जिन औषधियों में क्षमता अधिक होती है वह और बढ़ जाती हैं, इसमें पुनर्योवन शक्ति होती है। चन्द्रमा वह ऊर्जा रूपी टॉर्च हैं जो जीवन के अंधेरे को सकारात्मक ऊर्जा से रिचार्ज करता है। शरद पूर्णिमा के अवसर पर चन्द्रमा की रोशनी से अपने जीवन की बैटरी को रिचार्ज कर पूरे वर्ष उस सकारात्मक ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि शरद पूर्णिमा का दिन आध्यात्मिक रूप से भी बदलाव लाता है। अध्ययन के अनुसार पता चलता है कि शरद पूर्णिमा के दिन दूध और चावल की खीर बनाकर चन्द्रमा के प्रकाश में रखी जाती है। प्रातः काल स्नान आदि करके उस खीर को प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता है। दुग्ध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है। यह तत्व चन्द्रमा की किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का अवशोषण करता है। चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है। इसी कारण शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखते हैं। यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है। कहा जाता है कि खीर को चांदी के पात्र में सेवन करना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है। इससे विषाणु दूर रहते हैं।
चंद्रमा की सुंदरता की उपमा हर श्रेष्ठ कला से की जाती है। आध्यात्मिक साधक और ऋषि भी चाँद से प्रभावित हुये हैं। दुनिया के कई धर्म चंद्रमा को एक ईश्वर के रूप में पूजते हैं। पृथ्वी के उपग्रह होने के साथ ही समुद्र में ज्वार-भाटे को प्रभावित करते हुए चंद्रमा का हमारे जीवन पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है। हमारे शरीर से हमारी मनोदशाओं के चक्र के अनुसार, चंद्रमा हमारे जीवन के अधिकांश पहलुओं को प्रभावित करता हैै।
आज परमार्थ निकेतन में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार और परमार्थ परिवार के सदस्यों ने फिजीकल डिसटेंसिंग का गंभिरता से पालन करते हुये वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुये शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया। चन्द्रमा के दिव्य प्रकाश में ध्यान किया।