रावण का नहीं बल्कि कोरोना रूपी रावण का दहन करें – स्वामी चिदानन्द

रावण का नहीं बल्कि कोरोना रूपी रावण का दहन करें – स्वामी चिदानन्द
ऋषिकेश- आज विजयादशमी के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने देशवासियों को शुभकामनायें देते हुये कहा कि दशहरा शौर्य से शान्ति की ओर बढ़ने का पर्व है। प्रभु श्री राम और माँ दुर्गा ने शान्ति की स्थापना हेतु असुर शक्तियों का शौर्य से सामना कर विजय प्राप्त की थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाज ने आज प्रातःकाल की बेला में माँ गंगा का दर्शन कर परमार्थ प्रांगण मे स्थित विशाल पीपल, वटवृक्ष और पाकड़ के विशाल पेड़ों के निहारते हुये प्रकृति रक्षा का संदेश देते हुये कहा कि पेड़ पौधों की रक्षा के लिये सभी को आगे आना चाहिये। उन्होंने कहा कि मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार पूज्य चिदानंद महाराज के नेतृत्व में आध्यात्मिक गतिविधियों के साथ पर्यावरण संरक्षण के विषय में भी उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। परमार्थ निकेतन के पवित्र वातावरण में हो रहे प्रातःकालीन यज्ञ और प्रार्थना का दर्शन करते हुये डोभाल के परिवार और उनकी पूरी टीम ने विदा ली। इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि दशहरा पर्व को विजयादशमी या आयुध-पूजा आदि विभिन्न नामों ने जाना जाना जाता है परन्तु संदेश एक ही है सत्य की असत्य पर विजय।
हमारे शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि भगवान श्री राम ने इसी दिन रावण का वध किया था।
दशहरा पर्व को चाहे हम भगवान श्री राम की रावण पर विजय के रूप में या माँ दुर्गा की महिषासुर पर विजय के रूप में मनायें, दोनों ही रूपों में यह सत्य की असत्य पर विजय, शक्ति की आराधना और शस्त्रों के पूजन का ही पर्व है। भारतीय संस्कृति हमेशा से ही वीरता और शौर्य की उपासक रही है।
वास्तव में देखे तो दशहरा का पर्व बदले का नहीं बल्कि बदलाव का है। दशहरा पर्व हमें उन अवगुणों का परित्याग करने की सद्प्रेरणा प्रदान करता है। आईये संकल्प लें कि हम बदला नहीं बल्कि बदलाव की ओर बढ़ेगे। कोरोना माहमारी में सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें। बचाव में ही बचाव है। इसका ध्यान रखें तथा नियमों का पालन करें।