पीढियों से बने संबधों ने वैश्विक मंदी में दी ताकत-सूरज गुल्हाटी

पीढियों से बने संबधों ने वैश्विक मंदी में दी ताकत-सूरज गुल्हाटी

ऋषिकेश- पीढियों से बने संबध कोरोनाकाल में कुछ लोगों के लिए बहुत काम आये हैं। शहर के प्रमुख आढत व्यवसाई सूरज गुलाटी का नाम भी उन लोगों में शामिल है जिनके व्यापार पर वैश्विक संकट के दौरान भी कोई असर नहीं पड़ा। खुद वह इस बात की तस्दीक करते हैं।
तीर्थ नगरी में आढत व्यवसाई सूरज गुलाटी का नाम अपने आप में ही विश्वसनीयता की पहचान माना जाता है। गढ़वाल के सुदूरवर्ती पहाडी क्षेत्रों तक पिछले पांच दशक से व्यापारियों के साथ अपने प्रांगण संबंधों के चलते व्यापार करते रहे हैं। उनके पिता स्वर्गीय किशनलाल गुल्हाटी की विरासत को जब उनके पुत्र सूरज गुलाटी ने संभाला तो शहर में आढत व्यवसाय की स्थिति कोई बहुत अधिक मजबूत नहीं हुआ करती थी लेकिन समय का पहिया घूमा और अन्य कुशल आढत व्यवसायियों की भांति ही सूरज गुल्हाटी ने भी अपने व्यापार को आगे बढ़ाते हुए उसे उत्तराखंड के विभिन्न सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों तक जमा दिया।ग्राहकों के साथ पीढिय़ों से बना संबंध अब कोरोना काल में उनके बेहद काम आया।

नई चुनौतियों के बीच अगर बदलावों को लागू करने का जज्बा हो तो मुश्किल हालात भी आसान हो जाते हैं। इसी फलसफे और व्यापारियों के भरोसे व सुझाव से सूरज गुल्हाटी ने कोरोना काल के विपरीत परिस्थितियों को भी अपने पक्ष में कर लिया।उन्होंने
बताया मुश्किल की घड़ी में उन्हें इसी रिश्ते व भरोसे की ताकत मिली और कारोबारी बदलाव की मदद से वे आपदा से बाहर निकले।वह कहते हैं कि धैर्य व वचनबद्धता व विश्वास से कभी भी हार नहीं मिलती है। इस पर कायम रहने से व्यक्ति कभी किसी कारोबार में नाकामयाब नहीं होता। यही कारण रहा कि लाँकडाउन फाइव आते आते वह कोरोना काल में आई मुश्किलों से निकलने में सफल हो पाये।

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