परिवार और पाठशाला दोनों का महत्वपूर्ण योगदान -स्वामी चिदानन्द

परिवार और पाठशाला दोनों का महत्वपूर्ण योगदान -स्वामी चिदानन्द
ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अपने संदेश में कहा कि जीवन का हर दिन एक नया संदेश, नया अवसर और नयी चुनौतियों को लेकर आता है। इस जद्दोजहद में जो दिन बीत जाता है, वह हमें एक शिक्षा दे जाता है। भारत का गौरवशाली इतिहास जिसमें अनेक ऐसे रत्न हैं, जिनके जीवन से शिक्षा लेकर सब अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं। डॉ सुब्रह्मण्याम चंद्रशेखर भारत के ऐसे ही अनमोल रत्न है जिनके आविष्कारों को खगोल विज्ञान की रीढ़ माना जाता है, आज उनकी जयंती पर उनकी राष्ट्र सेवा को नमन है।
प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और गांधीवादी विचारधारा को समर्पित जीवन जीने वाली दीदी निर्मला देशपांडे का भी आज जन्मदिवस है। उन्होंने अपना पूरा जीवन साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने, महिलाओं, आदिवासियों वंचितों की सेवा में समर्पित कर दिया, आज वे हमारे बीच सशरीर नहीं है परन्तु उनकी सेवाओं के लिये उन्हें हमेशा याद किया जायेगा।स्वामी चिदानन्द ने कहा कि हर बच्चा एक हुनर के साथ जन्म लेता है, जरूरत है उस हुनर को तलाशने और तराशने की। बच्चों के हुनर को तराशने हेतु परिवार और पाठशाला दोनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। छोटे-छोटे बच्चों को संस्कार और शिक्षा के साथ आत्मविश्वास जागृत करने वाले विचार देना नितांत आवश्यक है।