नवरात्रि का पर्व अंधकार से प्रकाश की और बड़ने का पर्व-स्वामी चिदानन्द

नवरात्रि का पर्व अंधकार से प्रकाश की और बड़ने का पर्व-स्वामी चिदानन्द
ऋषिकेश- नवरात्रि के पावन पर्व पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने देशवासियों को शुभकामनायें देते हुये कहा कि नवरात्रि का पर्व शक्ति के जागरण का पर्व है। परमार्थ निकेतन में परमार्थ परिवार के सदस्यों और ऋषिकुमारों ने फिजीकल डिसटेंसिंग का गंभीरता से पालन करते हुये माँ शैलपुत्री का पूजन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज नवरात्रि के पावन अवसर पर दिये अपने संदेश में कहा कि ’’नवरात्रि पर्व भीतर की यात्रा का पर्व है, हमारे भीतर भी एक रात्रि है, जो कई बार हमें दिखती नहीं है। हमारे भीतर केवल एक रात्रि नहीं बल्कि रात्रि ही रात्रि है। रात्रि से तात्पर्य अन्धकार, दिवस का मतलब प्रकाश से है। नवरात्रि का पर्व भीतर के अन्धकार से भीतर के प्रकाश की ओर बढ़ने का पर्व है। दुर्गा सप्तशती में बहुत ही दिव्य मंत्र हैं उन्हें हमें इस नौ दिवसीय यात्रा में स्मरण करना होगा। नौ दिन के नौ अक्षरों में नवार्ण मंत्र के माध्यम से हम अपनी भीतर की शक्ति को पहचाने। बाहर शक्ति का पूजन और भीतर शक्ति का दर्शन। नवरात्रि का पर्व शक्ति का पर्व, आत्म निरीक्षण का पर्व और भीतर की यात्रा का पर्व है।
उन्होंने बतायाइन नौ दिनों में आत्मावलोकन करें कि हमारे स्वभाव में कौन से अवगुण और बुराईयां है। मानव स्वभाव में व्याप्त ईगो (अंहं) को जिनका प्रतिनिधित्व राक्षसों से जोडा गया है। ’’मेरा’’ का इस भाव को नष्ट करना कठिन हैं पर नामुकिन नहीं इसलिये आईये नौ दिनों तक साधना, स्वाध्याय, सेवा और समर्पण के माध्यम से अपने अन्दर व्याप्त अवगुणों का अवलोकन करें और उससे बाहर निकलने का प्रयत्न करें।
नवरात्रि के प्रथम दिवस आज शनिवार से आरम्भ हो रहा है जो, ऑरेंज (नारंगी) रंग का प्रतीक है। नवरात्रि पर्व उज्ज्वलता और जीवंतता के प्रतीक के साथ शुरू हो रहा है। नारंगी रंग ऊर्जा, प्रसन्नता और खुशी का प्रतीक है।