अन्न का प्रत्येक दाना प्राणदायक, रोकें इसकी बर्बादी- स्वामी चिदानन्द सरस्वती

अन्न का प्रत्येक दाना प्राणदायक, रोकें इसकी बर्बादी-
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश- विश्व खाद्य दिवस 16 अक्तूबर को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य है कि दुनिया को वर्ष 2030 तक भूख से मुक्त बनाने के लिये सतत प्रयास किया जाये। साथ ही महिलाओं और बच्चों को कुपोषण से मुक्ति कर एक स्वस्थ भविष्य का निर्माण किया जाये।

स्वामी चिदानन्द सरसवती ने कहा कि पोषणयुक्त आहार स्वस्थ रहने के लिये एक आवश्यक तत्त्व है। पारंपरिक अनाज (कीनोआ, ज्वार, जौ, बाजरा, मक्का आदि) का उपयोग वर्तमान समय में कम किया जा रहा है, इन्हें उपयोग में लाया जाना जरूरी है क्योंकि यह अनाज पोषक तत्वों से युक्त है।

स्वामी चिदानंद ने कहा कि छोटे-छोटे बच्चे जंक फूड की ओर बढ़ रहे हैं, उन्हें जंक फूड से जैविक फूड की ओर मोड़ने के लिये जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिये। उन्हें हैल्थी लंच बाक्स, राइट फूड, राइट फूड राइट ग्रोथ जैसे जागरूकता अभियानों से जोड़ना होगा। कहा कि, कोविड-19 के समय लगभग पूरी दुनिया ने अनेक समस्याओं का सामना किया, उसमें खाद्य समस्या एक बड़ी समस्या थी। भारत में हमारे मजदूर भाईयों और उनके परिवार वालों नेेेे सबसे अधिक खाद्य की समस्याओं का सामना किया। अच्छी बात यह है कि समाज और सरकार ने मिलकर कोरोन काल में मजबूती से आगे आकर इन समस्याओं का समाधान किया। हमें अपनी आगे आने वाली युवा पीढ़ी को संस्कारित करना होगा ताकि वे अन्न की बर्बादी न करे। जंक फूड से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के साथ उन्हें पौष्टिक भोजन का महत्व समझाना होगा, तभी हम वर्ष 2030 तक भूख से मुक्त भारत का निर्माण कर सकते हैं।

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