प्रकृति से प्रेम के जरिए ही प्राकृतिक आपदाओं पर अंकुश संभव -स्वामी चिदानन्द

प्रकृति से प्रेम के जरिए ही प्राकृतिक आपदाओं पर अंकुश संभव -स्वामी चिदानन्द

ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अन्तर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस के अवसर पर प्रकृतिमय जीवन जीने का संदेश दिया।
प्रतिवर्ष आपदाओं के कारण भारी तबाही होती है, जिससे एक ओर तो कई लोगों की मौत हो जाती है, वहीं दूसरी ओर अनेकों लोगों का जीवन, घर और रोजगार भी अस्त-व्यस्त हो जाता है। आज के दिन आपदा के प्रभाव को न्यूनतम करने हेतु जनसमुदाय को जागृत किया जाता है ताकि प्राकृतिक आपदाओं को कम किया जा सके।

स्वामी चिदानंद ने कहा कि अवैज्ञाानिक विकास, अप्राकृतिक व्यवहार और प्राकृतिक पदार्थो का अति दोहन करने से दिन-प्रतिदिन प्राकृतिक घटनायें बढ़ती जा रही रही हैं। प्रदूषण भी प्राकृतिक घटनाओं की वृद्धि का एक बड़ा कारण है। वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष प्रदूषण के कारण लगभग 43 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है जो कि एक भयावह आंकड़ा है।
आपदा तो अचानक होने वाली प्राकृतिक घटना है जो विध्वंसकारी होती है, जन-धन की हानि होती है तथा व्यापक स्तर पर भौतिक क्षति एवं प्राकृतिक स्तर पर भी भारी नुकसान होता है, जिससे मानवीय, भौतिक, पर्यावरणीय एवं सामाजिक गतिविधियाँ व्यापक स्तर पर प्रभावित होती हैं, परन्तु उसके पीछे कई मानवीय गतिविधियां भी होती हैं। कुछ तो प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से प्राकृतिक संसाधनों के अति दोहन से या लापरवाहियों के कारण भी विध्वंस, अनिष्ट, विपत्ति या बेहद गंभीर घटनायें घटित होती हैं, जिसमें कई बार बहुत बड़ी मात्रा में मानव जन जीवन क्षतिग्रस्त हो जाता है। साथ ही प्राकृतिक सम्पदा और भौतिक संपत्ति दोनों को हानि पहुँचती है, साथ ही पर्यावरण का भी भारी मात्रा में नुकसान होता है।
प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं का गहरा प्रभाव कुछ क्षेत्र पर ही नहीं पूरी समष्टि पर पड़ता है, यह आपदायें जन-जीवन के लिये खतरा उत्पन्न करती हैं जिससे देश और दुनिया का बुनियादी ढांचा प्रभावित होता है। विगत दो वर्षों की बात करें तो लगभग 4 करोड लोगों को आपदाओं के कारण अपने घरों को छोड़ना पड़ा।
आपदायें तो जैविक, महामारियों, रासायनिक, औद्योगिक एवं परमाणु संबंधी आपदाओं रासायनिक गैस का रिसाव और अन्य कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है। वर्तमान समय में कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया पर खतरा मडंरा रहा है। स्वामी चिदानंद ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं को कम करने के लिये प्रकृतिमय जीवन जीना, प्रकृति के सम्पर्क में रहना और सनातन संस्कृति के अनुसार आचरण करना होगा, साथ ही सतत विकास, हरित विकास और जैविक विकास को अपनाना नितांत आवश्यक है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि अनेक आपदायें प्राकृतिक होती हैं जिसका प्रभाव व्यापक स्तर पर पड़ता है, परन्तु ऐसी आपदाओं की रोकथाम तो नहीं की जा सकती पर उनका प्रबंधन किया जा सकता है। आपदाओं के प्रबंधन के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय, समर्पण, सहयोग और तकनीक का आदान-प्रदान बहुत आवश्यकता है।

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