स्वर्णिम इतिहास गढ़ने के लिये जीवन का सकारात्मक उपयोग जरूरी -स्वामी चिदानन्द

स्वर्णिम इतिहास गढ़ने के लिये जीवन का सकारात्मक उपयोग जरूरी -स्वामी चिदानन्द

ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी से पूरा विश्व प्रभावित हुआ। विश्व की अर्थव्यवस्था, लोगों का स्वास्थ्य, जीवनशैैली, सोचने और देखने का दृष्टिकोण के साथ जीवन के प्रति सजगता और बढ़ गयी है। वही दूसरी ओर कोरोना के समय में आपसी प्रेम, भाईचारा, दूसरों के प्रति दया, करूणा और अपनेपन की भावना भी विकसित हुई है। इस समय लोगों ने दिल खोल कर वंचितों और अभावग्रस्त लोगों की मदद के लिये हाथ आगे बढ़ाया तथा अनजान लोगों की सहायता के लिये भी लोग आगे आये, अनेक लोगों के जीवन में कोरोना वाॅरियर्स देवदूत बनकर आये, सच मानों तो इन दिनों में सच्ची मानवता के भी दर्शन हुये।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि कोरोना काल कब तक चलेगा, उसके पश्चात सब कुछ सामान्य कब तक होगा इसे शायद अभी कोई नहीं जानता परन्तु इस समय जब, स्कूल, काॅलेज, कुछ आफिस, और कुछ अन्य संस्थान बंद हैं,ऐसे में समय का उपयोग कैसे करें? अगर समय का सही प्रबंधन नहीं किया गया तो जीवन में तनाव बढ़ेगा और निराशा उत्पन्न होगी, इसलिये विशेष तौर पर युवाओं के लिये बहुत जरूरी है की अपने समय का सही प्रबंधन करें।
स्वामी जी ने कहा कि दुनिया में जितने भी लोग रह रहे हैं, उन सभी के पास 24 घन्टे ही होते हैं, परन्तु कोई उसका सही उपयोग कर जगद्गुरू शंकराचार्य, स्वामी विवेकानन्द, महात्मा गांधी, भगतसिंह आदि बन जाते है। दुनिया का इतिहास गवाह है, अगर हम इतिहास को देखें तो ऐसे कई उदाहरण मिल जाएगें, जिन्हें अपने छोटे से जीवन काल में ही इतिहास रच दिया। शंकराचार्य जी को केवल 32 वर्ष का ही जीवन काल मिला था उसमें ही उन्होंने चारों मठों की स्थापना, अद्वैत वेदांत की व्याख्या कर हिन्दू धर्म का आधार स्तंभ खड़ा कर दिया। विवेकानन्द जी को ईश्वर ने 40 वर्ष का जीवन काल प्रदान किया उसमें उन्होंने हिन्दूधर्म की पताका को विश्व के अनेक देशों में फहरायी। भगतसिंह केवल 23 वर्षो तक जिये परन्तु कुछ ऐसा कर गये और कुछ, लिख गये, जिससे इतिहास में उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया।
स्वामी जी ने कहा कि समय ऐसा संसाधन है जिसे बर्बाद तो किया जा सकता है, परन्तु बनाया नहीं जा सकता परन्तु समय, व्यक्ति को बना सकता इसलिये जीवन में समय का प्रबंधन बहुत जरूरी है।

समय को जिसने नहीं समझा, उसे मिटना पड़ा है।
बच गये तलवार से तो, फूल से कटना पड़ा है।
चाहे कितनी ही बड़ी हों, चाहे कितनी ही कड़ी हो।
हर नदी की राह से चट्टान को हटना पड़ा है।

स्वामी चिदानंद ने कहा कि स्वर्णिम इतिहास गढ़ने के लिये जीवन और जिंदगी का लम्बा होना जरूरी नहीं है, बल्कि जिंदगी के एक-एक पल को ठीक से जीना और उसका सद्पयोग करना जरूरी है। उन्होने कहा कि यह जरूरी नहीं कि जीवन लम्बा है या छोटा, जरूरी यह है की जीवन को कितना ऊर्जावान और उत्पादक बनाया, बस इसी सूत्र को समझना है।

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