कोविड-19 ने बदल दिया शिक्षा का स्वरूप-स्वामी चिदानंद

कोविड-19 ने बदल दिया शिक्षा का स्वरूप-स्वामी चिदानंद

ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कोविड-19 के दौरान शिक्षा के बदलते स्वरूप, सामाजिक असमानतायें और डिजिटल डिवाइस और उनकी उपलब्धता के विषय चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा का महत्त्व काफी बढ़ गया है, किंतु इसे सुचारू रूप से लागू करने हेतु अभी बहुत सारी चुनौतियां भी है।
आज परमार्थ निकेतन गुरूकुल के ऋषिकुमारों को कोरोना वायरस से खुद बचने और दूसरों को बचाने का प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही इस कोरोना काल में जब विद्यार्थी अपनी विधिवत कक्षाओं से दूर हैं, वे विद्यालय नहीं जा पा रहे हैं और पहले की तरह अपनी गतिविधियों को नहीं कर पा रहे हैं, इससे विद्यार्थियों की दिनचर्या में परिवर्तन के साथ ही, वे इस दौर में तनाव से भी गुजरे इसलिये उनके तनाव प्रबंधन, वेल्यू बेस्ड ऐजुकेशन, स्वच्छता प्रबंधन का प्रशिक्षण कुशल प्रशिक्षकों द्वारा दिया गया। कोरोना से बचाव के लिये परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों द्वारा चित्रकला, ड्रामा-नाटक, गीत-संगीत, स्लोगन और निबंध लेखन कर जनमानस जागरूक करने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

स्वामी चिदानंद ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण भारत सहित विश्व के कई देशों में स्कूलों को बंद रखा गया है, जिसका सीधा असर बच्चों पर उनकी शिक्षा, ग्रहण करने की क्षमता और उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। वैसे तो भारत में लॉकडाउन के कुछ दिनों पश्चात से ही विभिन्न स्कूलों और उच्च शिक्षण संस्थाएं ऑनलाइन शिक्षा एवं ई-लर्निंग को एक विकल्प के रूप में प्रयोग कर रही हैं। ऐसे में एक ओर तो जनमानस के बीच ऑनलाइन शिक्षा की लोकप्रियता में अत्यधिक वृद्धि हुई है परन्तु वेब आधारित लर्निंग, मोबाइल आधारित लर्निंग या कंप्यूटर आधारित लर्निंग और वर्चुअल क्लासरूम शहरी क्षेत्रों के लिये तो बेहतर उपाय हैं, परन्तु भारत के गांवों की स्थिति कुछ अलग है। गांवों में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और ऑनलाइन शिक्षा को बेहतर रूप से लागूू करने हेतु अनेक चुनौतियाँ का भी सामना करना पड़ रहा है। साथ ही छोटे-छोटे बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा के अनुरूप ढालना एक बड़ी चुनौती है। भारत की एक बड़ी आबादी ऐसी है, जिनके पास इंटरनेट की सुविधायें नहीं है, साथ ही नेटवर्क की भी समस्यायें हैं। भारत सरकार द्वारा इस क्षेत्र में काफी काम किया गया परन्तु अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि वर्तमान समय में कोरोना संकट को देखते हुये बच्चों को कौशल विकास से जोड़ने की जरूरत है ताकि सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण बना रहे। हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो कि जो युवा पीढ़ी को जीवन कौशल प्रदान करे और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दे।
स्वामी जी ने कहा कि छोटे बच्चों और युवाओं में सीखने की उत्सुकता रहती है इस उत्सुकता को बनाये रखने के लिये उन्हें कौशल विकास जो कि स्थानीय स्तर पर उपलब्ध है उससे जोड़ना नितांत आवश्यक है।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि भारत में प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत संदेश दिया है, अब भारत के प्रत्येक युवा का कर्तव्य है कि वे इस कोरोना महामारी के समय को किस तरह बेहतर उपयोग कर सकते हैं और अपने अन्दर मौजूद प्रतिभाओं को विकसित कर एक सुदृढ़ और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में अपना सहयोग प्रदान कर सकते है।

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