शिक्षक होता है भावी पीढ़ी की रीढ़– स्वामी चिदानन्द

शिक्षक होता है भावी पीढ़ी की रीढ़– स्वामी चिदानन्द

ऋषिकेश- विश्व भर में प्रतिवर्ष 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस शिक्षकों, शोधकर्ताओं और प्रोफेसरों द्वारा प्राप्त की उपलब्धियों, कार्यों और योगदान के लिये सम्मानित करने हेतु मनाया जाता है।
विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारत सहित विश्व के सभी शिक्षकों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि एक सुन्दर, संस्कारयुक्त, संगठित और जागरूक समाज के निर्माण में शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान है। शिक्षक भावी पीढ़ी की रीढ़ हैं। शिक्षक, किसी भी राष्ट्र के विकास में नींव के पत्थर की तरह योगदान देते है। देश की समृद्धि और मजबूत लोकतंत्र की नींव रखने के लिये शिक्षक पिलर का भूमिका निभाते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि कोविड-19 के दौरान शिक्षा, शिक्षकों और विद्याथियों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इस दौरान अनेक शिक्षक बेरोजगार हुये और विद्यार्थियों की दिनचर्या और शिक्षण पद्धति में भी बदलाव आया है।

स्वामी चिदानंद ने कहा कि कोरोना ने वैश्विक स्तर पर बड़ी तबाही मचायी है परन्तु वहीं दूसरी ओर कोरोना ने हमें जीवन के कुछ मूल मंत्र भी दिये हैं यथा हमारी समझ को बढ़ाया, समझौता करना सिखाया, धैर्य के साथ जीना सिखाया, कम में जीना सिखाया, अपने और अपनों के साथ जीना सिखाया, भीतर की यात्रा करना सिखाया, बेहतर बनना सिखाया, आपसी सम्बंधों को मजबूत बनना सिखाया और सबसे बड़ी बात जीवन की कीमत करना सिखाया। कोरोना के कारण वर्तमान समय में शिक्षक और विद्यार्थी के बीच, माता-पिता और शिक्षक के बीच, शिक्षक और मैनेजमेंट के बीच जो अंडरस्टैंडिग देखने को मिल रही है वह कमाल की है। शिक्षक, परिवार और मैनेजमेंट मिलकर बच्चों को जो संरक्षण प्रदान कर रहे हैं और विद्यार्थियों को शिक्षित करने के लिये जो भी प्रयास किये जा रहे हैं वह अद्भुत हैं।

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