विकास का श्रेष्ठ माॅडल हर हाथ को रोजगार – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

विकास का श्रेष्ठ माॅडल हर हाथ को रोजगार – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश-परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिवस के अवसर पर उन्हें याद करते हुये कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को वर्तमान समय के अनुसार प्रस्तुत करते हुए भारत को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। वे ऐसी समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो भारत को मजबूत और सशक्त बनाने में योगदान दे सके।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय प्रखर सूझबूझ वाले राष्ट्रसमर्पित दार्शनिक थे जिनका चिंतन सदैव ही देश की उन्नति के लिये था। उनके द्वारा प्रस्तुत दर्शन को ‘एकात्म मानववाद’ कहा जाता है जिसका उद्देश्य एक ऐसा ‘स्वदेशी सामाजिक-आर्थिक मॉडल’ प्रस्तुत करना था जिसमें विकास के केंद्र में मानव हो। वर्तमान समय में जब चारों ओर कोविड-19 का खतरा मंडरा रहा है और इस समय बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग के पास रोजगार नहीं है ऐसे में स्वदेशी सामाजिक-आर्थिक माॅडल अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने मानव के संपूर्ण विकास के लिये भौतिक विकास के साथ आत्मिक विकास पर भी बल दिया। साथ ही, उन्होंने एक वर्गहीन, जातिहीन और संघर्ष मुक्त सामाजिक व्यवस्था की कल्पना की थी। स्वामी जी ने कहा कि आज विश्व की एक बड़ी आबादी गरीबी में जीवन यापन करने को मजबूर है इसलिये दुनिया को एक ऐसे विकास मॉडल की जरूरत है जो हर हाथ को रोजगार और प्रत्येक मानव को गरिमापूर्ण जीवन दे सके। इस समय हमारे राष्ट्र को एक ऐसी लोक कल्याणकारी व्यवस्था चाहिये जो कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार ला सके।

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