कोरोनो ने मजदूर मिस्त्रियों की तोड़ी कमर बुझने लगे हैं चुल्हे !

कोरोनो ने मजदूर मिस्त्रियों की तोड़ी कमर बुझने लगे हैं चुल्हे !
ऋषिकेश- तीर्थ नगरी ऋषिकेश में मजदूरों की हालत देखनी हो तो एक बार सुबह घाट चौराहे पर चले आइए। मजदूर एवं मिस्त्री की तलाश में आये लोगों पर यह काम मिलने की आस में बुरी तरह टूट पड़ते हैं। फिर शुरू होता है रेट और बारगेनिंग का खेल।
कोरोनाकाल ने दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा कर दिया है। तमाम बंदिशों के चलते उन्हें काम नहीं मिल रहा है। दो जून की रोटी के लिए मजदूरों को मजदूरी के लिए भटकना पड़ रहा है। ऐसे में अब दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। व्यापारिक बंदिशों के चलते निजी निर्माण कार्य लाँकडाउन 4 में भी गति नहीं पकड़ पा रहा है। जबकि मजदूर अब कम मजदूरी पर भी काम की तलाश कर रहे हैं, लेकिन काम नहीं मिल पा रहा है। इन पर परिवारों के पालन पोषण में दिक्कतें आ रहीं है। हजारों लोग ऋषिकेश मे दिहाड़ी मजदूरी करते हैं, लेकिन यहां भवनों के निर्माण में लगी ब्रेक से मजदूरों काम नहीं मिल पा रहा है। भवनों के निर्माण गति पकड़े तो मजदूरी मिले।मिस्त्री का काम करने वाले रामखिलावन ने बताया मजदूरी से ही परिवार का पालन पोषण हो रहा था।कोरोनाकाल में काम नहीं मिल रहा , जो कुछ भी जमा पूंजी थी वह भी समाप्त हो गई। अब दिक्कतें आ रहीं है। काम भी नहीं मिल रहा है। जबकि कम दिहाड़ी पर भी काम करने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि मजदूर का रेट इस समय 500 और मिस्त्री का रेट ₹700 का है लेकिन हालात बदतर होने की वजह से कम दिहाड़ी पर भी मजदूर एवं मिस्त्री काम करने को तैयार हो जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार को भले ही कोरोना की लड़ाई लड़ रही हो लेकिन एक गरीब आदमी तो चूल्हा जलता रहे इसी की लड़ाई के लिए दिनरात संंघर्ष कर रहा है।