आवाज़ रत्न सम्मान से नवाजी गई साहित्यकार डॉ कविता भट्ट “शैल पुत्री “

आवाज़ रत्न सम्मान से नवाजी गई साहित्यकार डॉ कविता भट्ट “शैल पुत्री ”

ऋषिकेश-आवाज़ साहित्यिक संस्था के तत्वावधान मे राष्ट्रभाषा हिन्दी दिवस मनाया गया। कोरोना महामारी संकट के कारण इस बार कार्यक्रम वेबिनार के अंतर्गत आयोजित किया गया ।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया जिसमें स्वर्गीय द्वारिका प्रसाद मलाई के परिवार से मां शारदे के पावन चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ किया। समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में पश्चिम बंगाल, सिलीगुड़ी दार्जिलिंग।से वरिष्ठ साहित्यकार। श्री देवेंद्र शुक्ला ने अपने विचार!व्यक्त करते हुए कहा है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है जिसके बिना हमारी जीवन की कल्पना बेहद कठिन है। आज संपूर्ण विश्व के देश हिंदी भाषा को अपनी भाषा में रूपांतरित करते जा रहे हैं। संपूर्ण विश्व के अंदर हिंदी भाषी लोगों की अधिक संख्या बढ़ी है। विश्व की सभी भाषाओं में सबसे बड़ा शब्दकोश हिंदी भाषा का है जो अनेक भाषाओं की जननी के रूप में मानी जाती है। हम सब का नैतिक दायित्व है कि अपनी राष्ट्रभाषा के लिए हमें निरंतर कार्य करना चाहिए और इमानदारी के साथ हिंदी भाषा को आगे बढ़ाना चाहिए।

संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ मनोज सिंघल बेचैन राजस्थान ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा है। जो हमारी मां की तरह हमारा पालन-पोषण करती है। हिंदी भाषा संवेदना दया क्षमा। सिद्धांत! जैसे पावन पवित्र भावनाओं को विकसित करती है।
मुख्य वक्ता हेमंती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल की साहित्यकार लेखिका डॉ कविता भट्ट ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी! राष्ट्रभाषा हमारे मनो भावनाओं से जुड़ी हुई है हिन्दी साहित्य ने विश्व मे अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है ,आधुनिक तकनीकी के युग मे भले साहित्य के पाठकों का मिलना एक चुनोती के रूप मे सामने आ रहा है, लेकिन उसके बावजूद भी लेखक क्या विषय सामग्री अपने लेखन मे शामिल कर रहा है इसका प्रभाव जरूर पाठकों पर पड़ता है ।
अपने उद्बोधन मे डॉ शैलपुत्री ने कहा कि
भारत की महान, विशाल, गौरवशाली सभ्यता, संस्कृति और विरासत को सहेजने का कार्य हिन्दी ने ही किया है। हिन्दी भारतीय संस्कारों और संस्कृति से युक्त भाषा है। हिन्दी से जुड़ना अर्थात अपनी जड़ों से जुड़ना। हिन्दी, दिल की भाषा है इसलिये ज्यादा से ज्यादा लोग हिन्दी में बोले तथा भावी पीढ़ी को भी हिन्दी से जोड़े। उन्होने कहा कि अपनी-अपनी मातृभाषा जरूर बोले परन्तु हिन्दी हमारी राज्य भाषा है मेरा मानना है कि यह सब को आनी चाहिये और हमें इसके लिये प्रयास करना चाहिये।
डॉ कविता भट्ट शैलपुत्री ने कहा कि प्राचीन काल से ही भारत में हिन्दी और संस्कृत को शास्त्रीय भाषा का स्थान प्रदान दिया गया है। हिन्दी, न केवल एक भाषा है बल्कि वह तो भारत की आत्मा है। हिंदी को सम्मान जनक स्थान दिलाने के लिये वर्षो से देशव्यापी आंदोलन चलाये जा रहे है परन्तु हिन्दी को जब तक प्रत्येक भारतवासी दिल से स्वीकार नहीं कर लेता तब तक उसे अपने ही देश में उचित स्थान नहीं मिल सकता इसलिये प्रत्येक नागरिक को हिन्दी से जुड़ना होगा और आने वाली पीढ़ियों को भी जोड़ना होगा।
भारत जैसे विशाल और विविधताओं से युक्त राष्ट्र में हिन्दी न केवल शासन, प्रशासन और जनता के मध्य संवाद स्थापित करने का एक माध्यम है बल्कि हिन्दी ने सदियों से हमारी सभ्यता, संस्कृति और साहित्य को सहेज कर रखा है।

कार्यक्रम अध्यक्ष अशोक क्रेजी ने कहा भारत बहुभाषी देश है यहां पर हर सौ से दो सौ किलोमीटर पर अलग-अलग भाषाएँ और बोलियाँ बोली जाती हैं और प्रत्येक भाषा का अपना एक महत्व है। हमारे यहां आजादी के इतने वर्षों के बाद भी राष्ट्रीय स्तर पर कोई एक ऐसी भाषा नहीं है, जिससे सभी राज्य एवं क्षेत्र जुड़े हो। भारत के ज्यादातर राज्यों में हिंदी को उत्कृष्ट स्थान प्राप्त है। अतः हिन्दी के विकास और प्रसार की संभावनाएँ अधिक हैं बस जरूरत है तो हिन्दी भाषा को दिल से स्वीकार करने की।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ सुनील दत्त थपलियाल ने कहा भारत का लोकतंत्र एक परिपक्व लोकतंत्र हैं अतः हिंदी भाषा को भारत केे कोने-कोने में हिंदी सिनेमा, टेलीविजन, शिक्षा, प्रशासन, वाणिज्य, समाचार-पत्र, कला और संस्कृति की विभिन्न विधाओं और सम्प्रेषण के माध्यम से फैलाया जाना चाहिये। हमारी पहचान भाषायी आधार या राज्यों के आधार पर नहीं बल्कि हम सभी भारतीयों की पहचान राष्ट्रीय आधार पर होनी चाहिये।
आज के समय में हिंदी, भारत की राष्ट्रभाषा, राजभाषा तथा संपर्क भाषा है साथ ही इन वर्षो में हिंदी निरन्तर विकसित और परिष्कृत भी हुयी है। मुझे लगता है हिन्दी को सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिये उसे भारत के प्रत्येक घर में और हर भारतीय के हृदय में स्थान देने की जरूरत है
इस अवसर पर आचार्य रामकृष्ण पोखरियाल ने मुख्य अतिथियों का परिचय एवं संस्था की उन्नति आख्या प्रस्तुत की
संस्था के उपाध्यक्ष साहित्यकार प्रबोध उनियाल ने इस वर्ष दिये गये स्व द्वारिका प्रसाद मलासी आवाज़ रत्न प्राप्त डॉ कविता भट्ट “शैल पुत्री” का साहित्यिक परिचय दिया ।
संस्था के सदस्य महेश चिटकारिया ने सम्मान पत्र का वाचन किया एवं चेन्नई मे शोधरत कु रुपांशा ने सरस्वती वन्दना एवं श्रीमती अनिता भट्ट मृदुल ने देश भक्ति गीत प्रस्तुत किया ।
इस अवसर पर रविंद्र रावत ,सुरेंद्र सिंह भंडारी , डॉ पुष्प लता भट्ट, डॉ ममता मेहरा ,डॉ दमयंती शर्मा सत्येंद्र चौहान, नरेंद्र रयाल शिवप्रसाद बहुगुणा आलम मुसाफिर , पुष्पा उनियाल कुसुम जोशी अंजू रस्तोगी , मनोज मलासी, योगेश मलासी, बीना घिल्डियाल, सुधा गोड़, आभा, बीना, तकनीकी प्रबन्धन मे कमलेश रावत आदि जुड़े रहे ।

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