कोरोनाकाल में बेहद मुश्किल हुआ “रोटी का संघर्ष”

कोरोनाकाल में बेहद मुश्किल हुआ “रोटी का संघर्ष”
ऋषिकेश-तीर्थ नगरी ऋषिकेश में कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में सभी परेशान हैं। सबसे अधिक दिक्कत उन लोगों को है जो दिन भर कठिन परिश्रम करके दो जून की रोटी जुटा पाते थे। कोराेना संक्रमण ने उनके पेट पर लात मारी। महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए जब तक लॉकडाउन था तो इन गरीबों की आर्थिक मदद लोग कर दिया करते थे। वहीं लॉकडाउन खत्म होने के साथ ही मदद को बढ़ने वाले हाथ भी नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में दो वक्त की रोटी का जुगाड़ गरीबों का खुद ही करना पड़ रहा है।
शहर की मलिन बस्ती की झुग्गी में रहने वाले रंजीत ने बताया कोरोना संक्रमण ने उनकी जिंदगी का सारा खेल बिगाड़ दिया ।पहले वह रिक्शा चलाकर शांम तक दिहाड़ी बना लेता था मगर कोरोनाकाल शुरू होते ही शहर का बाजार क्या ठप्प हुआ उसके रिक्शे का पहिया ही घूमना बंद हो गया।घर में खाने की किल्लत देख उधार लेकर उसने अब फल की ठेली लगानी शुरू की है।जैसे तैसे दाल रोटी निकल रही है।रंजीत जैसी हालत शहर में अनेकों मेहनतकश लोगों की है,जिन्हें काम न मिलने की वजह से उनके चूल्हे ठंडे पड़ने लगे हैं।ठेली लगाकर परिवार चलाने वाले संजीव ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के बाद काम इस कदर पिटा की उबर ही नही पाया।दिनभर वह इस आस में कि काम मिलेगा दुकानों के बार डटे रहते हैं लेकिन कई कई दिन तो बिना बौनी किए मायूस होकर घर लोटना पड़ता है।एक कपड़ें की दुकान में काम करने वाले राजू ने बताया लॉकडाउन हुआ तो सभी कुछ बंद हो गया।काम ठप्प होते ही मालिक ने दुकान से निकाल दिया।कुछ माह तो किसी तरह सरकारी अनाज व समाज सेवियों से मिले राशन का प्रयोग करते हुए समय गुजर गया। लॉकडाउन खुलने के बाद समाजसेवियों ने राशन बांटना बंद कर दिया।अब फांके के दौर चल रहे हैं।