एसआरएचयू में इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट के महत्व पर हुयी चर्चा

एसआरएचयू में इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट के महत्व पर हुयी चर्चा

मेडिकल, नर्सिंग, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट के 100 प्रतिभागी हुये शामिल
आमजन को पेटेंट से संबंधित अधिकारों व कानूनों की जानकारी नहीं है।

ऋषिकेश-स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) में इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिभागियों को बौद्धिक संपदा व इसके महत्व से अवगत कराया गया।
शुक्रवार को मेडिकल काॅलेज के लेक्चर थियेटर में आयोजित कार्यशाला में इनोव इंटेलेक्ट गाजियाबाद की निदेशक पूजा कुमार ने कहा कि हमारे देश में पारंपरिक ज्ञान का भंडार है परन्तु आमजन को पेटेंट से संबंधित अधिकारों व कानूनों की जानकारी नहीं है। कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का बौद्धिक सृजन जैसे शोध, अविष्कार, साहित्यिक कृति का सृजन करता है तो यह उस व्यक्ति की इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी (बौद्धिक संपदा) कहलाती है। बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत शोधार्थी, अविष्कारकर्ता अपने सृजन को पेटेंट, काॅपीराईट कराता है। उन्होंने बौद्धिक संपत्ति के अंतर्गत पेटेंट, काॅपीराइट, टेªडमार्क के बारे में कहा कि वैश्विक स्तर पर हो रहे बदलाव को देखते हुये इन अधिकारों के बारे में सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़े विभिन्न पहलू पेटेंट फाइल, काॅपीराइट, टेªडमार्क, डिजाइन आदि के बारे में विस्तार से चर्चा की। प्रति कुलपति डाॅ. विजेन्द्र चैहान ने कहा कि विश्वविद्यालय में बौद्धिक संपदा अधिकार के सृजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह कार्यशाला आयोजित की गयी है। इसी संदर्भ में उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फाॅर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूकॉस्ट) के सहयोग से विश्वविद्यालय में एक आईपीआर सेल की स्थापना भी की गई है। जिसका उद््ेदश्य चिकित्सकों, विश्वविद्यालय की फैकल्टी व छात्रों के बौद्धिक सृजन से जुड़े शोध, अविष्कार को मान्यता दिलाना है।

उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों से नवाचार के क्षेत्र मेें कार्य करने का आह्वान किया कार्यशाला में विश्वविद्यालय के मेडिकल, नर्सिंग, मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, योग विज्ञान, बाॅयोसाइंस के लगभग 100 फैकल्टी सदस्यों ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर रजिस्ट्रार नलिन भटनागर, डिप्टी रजिस्ट्रार संदीप बधानी, पूनम वर्मा आदि उपस्थित थे।

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