अपने नाम को चरितार्थ कर अपने गीतों से धूम मचाता लोक गायक धूम सिंह रावत

अपने नाम को चरितार्थ कर अपने गीतों से धूम मचाता लोक गायक धूम सिंह रावत

ऋषिकेश- बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो अपने नाम को सार्थक कर पाते हैं ।उत्तराखंड के लोक गायकों की बात करें तो धूम सिंह एक ऐसा नाम है जिसने ना सिर्फ अपने नाम को चरितार्थ किया है बल्कि अपने गीतों पर धूम मचाते हुए श्रोताओं को थिरकने पर भी विवश किया है।गढ संस्कृति के उदयीमान लोक कलाकारों में उनका शुमार होता था। वे उन चुनिंदा खुशनसीब गायकों में से एक है जिनके गीतों का शिद्दत से इंतजार श्रोता करते हैं।

धूम सिंह रावत की गायिकी व गीतों को देखकर लगता है कि उत्तराखंड में बड़े-बडे फनकार हैं। धूम सिंह एक बेहद ही खूबसूरत अंदाज में एक बार फिर आपके सामने हैं। कुछ ऐसे गीत जो हर पहाड़ी के दिल को छू गए, उन गीतों को एक नए अंदाज में पेश किया गया है। इसमें धूम सिंह रावत ने हाल ही मैं कुछ नये गीत “गौं छौ जाणु व कौथिक ढोल दमो की कुछ झलकियां दिखेंगी,जो कि लगातार हमारे उत्तराखंड की संस्कृति को बचाये रखने का काम कर रहे है। लोकप्रिय युवा दिलों की धड़कन “धूम सिंह रावत” के गीत गौं छौ जाणु व कौथिग ढोल दमौ जिसमें हमारी लोक संस्कृति की बात जैसे कि आजकल पहाड़ों में जगह जगह देवताओं की डोली नचाई जा रही है, जैसे थौल मंडाण कौथिग दिये जा रहे हैं। पहाड़ के वाद्य यंत्र ढोल दमौ की थाप पर सभी लोगों के पैर थिरक जाते हैं, इन गीतों में संगीत रणजीत सिंह व संजय कुमोला जी रिकार्डिंग पवन गुसाईं व निर्माता पुरुषोत्तम जेठूड़ी व रज्जी गुसांईं एंव लेखक मुकेश निराला व सोनी कोठियाल है।
लोकगायक धूम सिंह रावत ने बताया कि यह गाना “गौं छौ जाणु ” की धुन गढ़रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी ने बनाई है। उत्तराखंड की संस्कृति पर आधारित है आशा करता हूँ। की आप को गीत जरूर पसन्द आएंगे ।लोक गायक धूम सिंह रावत ने कहा है कि मैं अपनी संस्कृति को जीवित रखने के लिए प्रतिबद्ध हूं और कार्य करता रहूँगा।

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