तीर्थ नगरी मे “कोरोना “के खौफ से घर में साढे 5 महीनों तक कैद रहा एक” शख्स”

तीर्थ नगरी मे “कोरोना “के खौफ से घर में साढे 5 महीनों तक कैद रहा एक” शख्स”
ऋषिकेश- चीन के वुहान शहर से निकला कोरोना वायरस दुनिया भर के लिए किस कदर भय का पर्याय बन गया है इसका एक बेहद अजीबोगरीब मामला तीर्थ नगरी में प्रकाश में आया है।
कोरोना के खौफ के चलते तीर्थ नगरी ऋषिकेश का एक व्यक्ति साढे 5 महीनों तक वैश्विक महामारी की वैक्सीन तैयार हो जाने के इंतजार में अपने घर में कैद रहा। देशभर में शायद ही कोई ऐसा मामला सामने आया हो जिसने वैश्विक महामारी के खौफ की वजह से किसी शख्स में अपने आप को पूरी तरह से घर में ही कैद कर लिया हो। लेकिन हैरतअंगेज तौर पर ऋषिकेश का एक शख्स साढे 5 महीनों तक अपने घर की चारदीवारी के भीतर ही सिमट कर रह गया ।लंबे इंतजार के बाद भी जब महामारी की कोई वैक्सीन तैयार ना हो पाई तो आखिरकार उसने घर से बाहर कदम निकाल ही लिया। जी हां आप मानेंगे नहीं लेकिन सच्चाई यही है कि 25 मार्च को जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों का प्रथम लाँकडाउन लगाया तो ऋषिकेश के गंगा नगर की गली नंबर 9 के अंबे अपार्टमेंटस में रहने वाले 61 वर्षीय राजेंद्र साहनी ने पूरी तरह से अपने आप को घर में ही कैद कर लिया। इस दौरान दुनिया भर से वैश्विक महामारी के चलते हुई खौफनाक मौतों ने राजेंद्र साहनी को इस कदर विचलित कर दिया कि वह घर से बाहर निकलने का साहस कर ही नहीं पाए। उनके परिवार के तमाम सदस्यों के समझाने के बावजूद कोरोनावायरस का खौफ उनके दिलोदिमाग पर पूरी तरह से हावी हो चुका था। राजेंद्र साहनी की माने तो उन्होंने सोच लिया था कि कोरोना की वैक्सीन लगने के बाद ही है घर से बाहर कदम रखेंगे। लेकिन लंबे इंतजार के बाद ही जब वैक्सीन तैयार होने की कोई किरण सामने नजर नहीं आई तो मजबूरन उन्हें घर से बाहर कदम रखने को विवश होना ही पड़ा ।जिसके लिए वह परिवारिक सदस्यों की होसलाअफजाई को भी बड़ी वजह मानते हैं।हांलाकि
उन्होंने खुले दिल से यह भी स्वीकार किया कि लंबे अरसे तक घर की चारदीवारी में सिमट के रह जाने की वजह से वह कुछ तनावग्रस्त भी खुद को महसूस कर रहे हैं जिससे उबरने में शायद अभी कुछ वक्त लगेगा।