श्रेष्ठ गुरू दुर्लभ परन्तु अत्यंत मूल्यवान – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

श्रेष्ठ गुरू दुर्लभ परन्तु अत्यंत मूल्यवान – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने पूर्व राष्ट्रपति और श्रेष्ठ शिक्षक डाॅ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुये कहा कि एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने प्राचीन गुरू – शिष्य परम्परा को एक नया आयाम दिया । शिष्य का समर्पण और गुरू की कृपा का ज्ञान के माध्यम से बरसना तथा ज्ञान का आदान-प्रदान ही गुरू-शिष्य का सम्बंध है।
डाॅ राधाकृष्णन ने शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत योगदान दिया है उनके विचार आज की युवा पीढ़ी को जीवंत और जागृत करने वाले है, उनकी देश भक्ति और समाज सेवा को नमन।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि 5 सितम्बर का दिन पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि गुरू ही वह सत्ता है जो अपने ज्ञान से शिष्यों को श्रेष्ठ बनाते हैं। वर्तमान पीढ़ी के पास सूचनाओं को प्राप्त करने के अनेक साधन हैं। वे इंटरनेट के माध्यम से हड़प्पा संस्कृति से लेकर आधुनिक युग की नयी-नयी जानकारियां तो प्राप्त कर लेते हैं परन्तु उन्हें इनरनेट से जुडना तो एक गुरू ही सिखा सकता है। मुझे बिल गेट्स द्वारा कही बात याद आ रही है कि ’’टेक्नोलॉजी सिर्फ एक उपकरण है। बच्चों को प्रेरित करने के लिये शिक्षक सबसे महत्त्वपूर्ण है’’।यह दिन समर्पित है उन सभी गुरूओं और शिक्षकों को जिन्होंने अपने तप और त्याग से प्राप्त ज्ञान से अपने शिष्यों का भविष्य उज्जवल किया है इसलिये वर्तमान शिक्षा पद्धति भी टीचर से टेक्नोलाॅजी की ओर नहीं बल्कि टीचर के साथ टेक्नोलाॅजी की ओर बढ़ने वाली होनी चाहिये।