महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है लोक साहित्यकार मधुरवादिनी तिवाड़ी “मधुर”

महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है लोक साहित्यकार मधुरवादिनी तिवाड़ी “मधुर”
ऋषिकेश- लगातार चल रही चींटी सैकड़ों योजनों की दूरी तय कर लेती है, परंतु न चल रहा गरुड़ एक कदम आगे नहीं बढ़ पाता है । उक्त पंक्तियाँ चरितार्थ करती है कि जीवन के हर क्षेत्र मे नारी शक्ति कमजोर नहीं बल्कि सदी के पहले पायदान पर वह मजबूती से खड़ी है। हर जगह संकल्प की शिखर है। उसने ठान लिया है…मान लिया है…चट्टानों से टकराना जान लिया है…। वर्तमान को भरपूर जीना उसने सीख लिया है और भविष्य को अपने हाथों से सँवारने का संकल्प ले लिया है।’
नारी के पास कामयाबी के उच्चतम शिखर को छूने की अपार क्षमता है। उसके पास अनगिनत अवसर भी हैं। जिंदगी जीने का जज्बा उसमें पैदा हो चुका है। दृढ़ इच्छाशक्ति एवं शिक्षा ने नारी मन को उच्च आकांक्षाएँ, सपनों के सप्तरंग एवं अंतर्मन की परतों को खोलने की नई राह दी है। निःसंदेह आज की नारी की भूमिका में तीव्रता से परिवर्तन हुआ है।
उक्त विचारों के समावेश से भरपूर नारी शक्ति की मिशाल के रूप मे जिन्होंने कुदाल दरांती के साथ -साथ लेखनी को बेहतरीन सम्मान देकर लोक साहित्य का अखण्ड दीप प्रज्वलित किया है। इस संकल्प शिखर की प्रतिमूर्ति, साहित्य के क्षेत्र मे अपनी सृजनात्मक कौशलता से पहचान बनाने वाली लोक भाषा साहित्य के लिए तिल -तिल समर्पित रहते हुए विषम परिस्थितियों मे भी अडिग रहकर संकल्प की प्रतीक श्रीमती मधुरवादिनी तिवारी “मधुर” उन महिलाओं के लिए प्रेरणा का प्रतीक है जो जीवन मे छोटी सी कठिनाइयों मे धैर्य खोकर बैठ जाती है ,
साधारण शिक्षित परिवार मे जन्मी मधुर वादिनी के पिता भाई व परिवार के अन्य लोग जहाँ शिक्षा की विधा के लिए समर्पित रहे वहीं जीवनसाथी के रूप मे विद्वान शिक्षाविद चंडी प्रसाद तिवाड़ी शिक्षक के रूप मे अपनी सेवाएं दे रहे हैं ।स्वयं भी मधुर वादिनी तिवाड़ी उत्तराखण्ड बाल विकास महिला सशक्तिकरण विभाग मे सम्प्रति देते हुए साहित्य के लिए समर्पित है ,परिवार मे दो बेटी एक बेटा अपनी बेहतरीन शिक्षा के साथ अपनी मंजिलों की तरफ हैं ।
लोक साहित्य पर बेहतरीन काम करने वाली साहित्यकार अनेक साहित्यिक संस्थाओं व मंचों से जुड़ी हुई हैं , आकाश वाणी दूरदर्शन के साथ साथ अनेक पत्र पत्रिकाओं मे बेहतरीन रचना धर्मिता के लिए पहचान रखने वाली “मधुर” कलम के साथ घर गांव की खेती किसानी करने मे भी पारंगत है समय समय पर गांव मे खेती के लिए कुदाल दरांती मनोभावनाओं से सम्भालती हैं ।
मधुरवादिनी तिवारी ने एम०ए० समाज शास्त्र से करने के बाद साहित्य मे रुचि रखते हुए वर्ष 2004 से गढवाली कविता लिखनी शुरू की।
कविताएं व कुछ गद्य लेखन के साथ -मेरी देवभूमि स्वर्ग सि सुन्दर, पलायन उत्तराखण्ड बिटि, बेटी कु दर्द, द्वी आखर चिठ्ठी का, फ़ौज की नोकरी , सोण की बरखा , हयुन्द की बर्फीली रात जैसे काव्य संकलनों को अविरलनागे बढ़ते हुए विविध मंचों पर कवि सम्मेलन मा प्रतिभाग, आकाशवाणी व दूरदर्शन बिटिन कविताओं को प्रसारण, धाद, गढकेसरी ,चिट्ठी पत्री, आखर पत्रिकाओं व अन्य कै पत्रिकों मा रचना प्रकाशित।कविता लिखणु, साहित्य पढ़णु, लिखणु,अपणि लोक संस्कृति संवर्धन,अपणि खेती-बाड़ी से लगाव।लोक साहित्य के लिए समर्पित मधुवादिनी अनेक महिलाओं के लिए आज भी प्रेरणा की स्रोत हैं ।