खेल-खेल में बने योगी और निरोगी – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

खेल-खेल में बने योगी और निरोगी – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश -राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भारत के खिलाड़ियों को अपनी शुभकामनायें देते हुये कहा कि खेल-खेल में योगी बनें और निरोगी बनें।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि हमारे देश के प्रत्येक बच्चे को पढ़ाई के साथ खेलों में भी सहभाग हेतु प्रोत्साहित करना जरूरी है क्योंकि खेल के माध्यम से जीवन में नैतिकता का विकास होता है। साथ ही स्वस्थ्य, प्रतिस्पर्धा, टीम भावना, मित्रता, सम्मान, समानता, सहिष्णुता, एक-दूसरे की परवाह, प्रदर्शन की उत्कृष्टता, एकता और राष्ट्रीयता जैसे जीवन मूल्यों का विकास सहज रूप से ही हो जाता है।

कहा कि, बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिये खेल आवश्यक है। खेल के माध्यम से अनुशासन, के साथ एकाग्रता भी बढ़ती है। सर्वेक्षण से पता चला है कि जो बच्चे खेल में भाग लेते हैं उन एक्टिव बच्चों में संज्ञानात्मक कौशल का विकास तीव्रता से होता है। अन्य बच्चों की तुलना में वे अच्छी तरह ध्यान केन्द्रित कर पाते हैं और अपने मस्तिष्क का उपयोग भी अधिक अच्छी तरह कर पाते हैं। खेल-खेल में बच्चों को जीत और हार की समझ भी आ जाती है कि जीतना और हारना तो मात्र जीवन का एक हिस्सा है और कई लोगों को तो इसे समझने में पूरा जीवन ही लग जाता है, इसलिये खेलें और आगे बढें।

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