साहित्य के लिए समर्पित शिवप्रसाद बहुगुणा “शैल”

साहित्य के लिए समर्पित शिवप्रसाद बहुगुणा “शैल”

ऋषिकेश-साहित्य किसी संस्कृति की पहचान कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किसी भी काल का अध्ययन से हम तत्कालीन मानव जीवन के रहन-सहन व अन्य गतिविधियों को आसानी से जान सकते हैं। साहित्य से हम अपने विरासत के बारें में सीख सकते हैं। इस तरह भारतीय सभ्यता और मूल्य सहित्य में सुरक्षित हैं जब हमारा देश अंग्रेज़ी सत्ता का गुलाम था। तब साहित्यकारों की लेखनी की ओजस्विता राष्ट्र के पूर्व गौरव और वर्तमान दुर्दशा पर केंद्रित थी। इस दृष्टी से साहित्य का महत्व वर्तमान में भी बना हुआ है। आज के साहित्यकार वर्तमान समाज की समस्याओं में पर्याप्त स्थान दे रहे हैं। हर देश की भाषा उनके संस्कृति और सभ्यता को पेहचान देती है। साहित्य समाज का दर्पण है इसलिए यह प्रगती के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहेगा।.
उक्त पंक्तियों के महत्व को अपने विचारों के ग्रन्थ “साहित्य मेरा दर्पण ” मे स्थान देने वाले कलम के पारखी, धारा के विपरीत अर्थात अंग्रेजी साहित्य के प्रति बेहतरीन ज्ञान रखने वाले शिवप्रसाद बहुगुणा “शैल” हिन्दी साहित्य के लिए सशक्त हस्ताक्षर माने जाते हैं ।


​banner for public:Mayor

आवाज़ साहित्यिक संस्था के सँयुक्त संकलनों मे लाजवाब रचनाएँ देने वाले “शैल”अनेकों साहित्यिक संस्थाओं के संकलनों के साथ पत्र पत्रिकाओं मे आदर्श रचनाओं के लिए अपना विशेष स्थान रखते हैं।
भारतीय हिन्दी साहित्य परिषद, मे अध्यक्ष के साथ शहर की संस्थाओं के साथ प्रादेशिक साहित्यिक संस्थानों मे अग्रिम पंक्ति की प्रतिभाओं मे जाने जाते हैं।
साधारण परिवार मे जन्मे बहुगुणा बाल्यकाल से ही बौद्धिक प्रतिभा के धनी वाणी व्यवहार अपने कार्य सम्पादन मे निश्चल, निर्भय ,निर्द्वन्द और निर्विघ्न करने की शैली ओर सिद्धान्तों के प्रति “सब कुछ जाये पर मान न जाये” के प्रति एकनिष्ठ रहने वाले बहुगुणा साहित्यिक नाम मे “शैल ” के रूप मे जाने जाते है ।
बेहतरीन लेखन की शंखनाद रखने वाले साहित्यकारों की पंक्ति मे रहने वाले “शैल” ने समसामयिक विषयों पर रचनाओं के साथ कई संकलन तैयार किये जिसमें सबसे महत्वपूर्ण “मै देव भूमि से बोल रहा हूँ” संकलन पाठकों की पसंद रही है ।इसके अतिरिक्त “माँ”, देवभूमि का पलायन, समर्पण के पुष्प, साहित्य जीवन का दर्पण के साथ निरन्तर आगे बढ़ते रहे।
पारिवारिक पृष्ठ भूमि मे तीन भाई बहनों मे सबसे बड़े होने का फर्ज निभाने वाले बहुगुणा अच्छे अभिभावक के रूप मे अपना स्थान रखते हैं। जिसका परिणाम कि स्वयं श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज मे अंग्रेजी के प्रवक्ता के साथ पत्नी ममता बहुगुणा व छोटा अनुज दुर्गा बहुगुणा व अनुज वधु शिक्षा जगत मे एक आदर्श शिक्षक के रूप मे सेवाएं दे रहे हैं। जहाँ आज भी पूज्य माता का आशीर्वाद पूरे परिवार को मिल रहा है वहीं स्व पिताश्री सेना मे रहते हुए देश सेवा मे रहे है। दोनों बेटे इंजीनियरिंग की शिक्षा के बाद अपनी मंजिल पर हैं वही शिव प्रसाद बहुगुणा आज भी साहित्य के लिए समर्पित हैं ।
अपनी विद्वता के लिए पहचान रखने वाले बहुगुणा अनेक भाषाओं मे पारंगत होते हुए एक बेहतरीन उद्घोषक के रूप मे भी अपनी पहचान रखते हैं ।अपने शिष्यों मे अलग से पहचान रखते हुए शिव प्रसाद बहुगुणा साहित्य समाज मे प्रेरणा के पुंज हैं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: