उफनती गंगा के रोद्र रूप के बावजूद खतरों से खेल रहे किशोर

उफनती गंगा के रोद्र रूप के बावजूद खतरों से खेल रहे किशोर

ऋषिकेश-गंगा में जलस्तर बढ़ने के परिणाम स्वरूप ग्रामीण क्षेत्र ऋषिकेश के तटीय गाँव खदरी खड़क माफ की सीमा पर निर्मित राजकीय पालीटेक्निक संस्थान के समीप गंगा की बृहद जलधारा बह रही है।जिसमें बाढ़ के साथ बहकर लकड़ियां आरही हैं।यहाँ उत्सुकतावश स्थानीय युवा और किशोर बड़ी संख्या में जल क्रीड़ा करने के साथ साथ नहाने के लिए आरहे हैं।ये किशोर लकड़ियों में बैठकर नदी को पार करने का प्रयास करते रहते हैं।लेकिन पहाड़ों में रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण जलस्तर बृद्धि को नियंत्रित करने के लिहाज से बैराज प्रशासन द्वारा अचानक कभी भी अतिरिक्त पानी की निकासी की जाती रही है।ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रान्त पर्यावरण प्रमुख और जिला गंगा सुरक्षा समिति के सदस्य पर्यावरणविद विनोद जुगलान विप्र का कहना है कि वर्षो पूर्व बैराज प्रसाशन द्वारा नदी क्षेत्र में प्रवेश न करने की सूचना का बोर्ड भी गाँव की सीमा पर स्थापित किया गया है साथ ही मेरे द्वारा सोशियल मीडिया एवं समाचार पत्रों के माध्यम से भी ग्रामीणों को बर्षाति मौसम में नदी क्षेत्र में न जाने की सलाह दी जाती है किन्तु स्थानीय किशोर घरवालों से छुपते छुपाते नजर बचाकर बड़ी सँख्या में नदी में प्रवेश कर जाते हैं और दिनभर कभी लकड़ियों के साथ तो कभी प्लास्टिक की गेंदबाजी करते हुए नदी में नहाते रहते हैं।ऐसे में बैराज प्रशासन द्वारा अतिरिक्त जल की निकासी किये जाने पर कोई बड़ा हादसा हो सकता है।इस ओर न तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों का ध्यान गया है न स्थानीय प्रशासन को इस बात का संज्ञान है जो कि भारी लापरवाही है।इससे पहले कि कोई बड़ी दुर्घटना हो इसके सुरक्षात्मक उपाय किये जाने चाहियें।सुरक्षा की माँग करने वालों में नालन्दा शिक्षण संस्थान के प्रमुख महावीर उपाध्याय,श्याम मुण्डेपी,शम्भू प्रसाद रयाल,लाखी राम रतूड़ी,राकेश रयाल,धर्म सिंह, राय सिंह,दीपक ध्यानी,सुरेंद्र जुगलान आदि प्रमुख हैं।

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