हर देश का एक भूगोल है, पर भारत अनमोल है- चिदानन्द सरस्वती

हर देश का एक भूगोल है, पर भारत अनमोल है- चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश- राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और उनके अनुषांगिक संगठनों द्वारा प्रतिवर्ष 14 अगस्त को ’अखंड भारत संकल्प दिवस’ मनाया जाता है। उनका मानना है कि 15 अगस्त को हमारा देश आजाद हुआ था परन्तु 14 अगस्त को हमें अपनी मातृभूमि के विभाजन का दंश भी झेलना पड़ा था इसलिये आज के दिन हर भारतवासी संकल्प लें कि हम रंग, रूप, वेश-भूषा, धर्म और जाति से भले ही अलग-अलग हो परन्तु हम सब एक है और भारत माता की संतान हैं।
इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की अखंड भारत संकल्प दिवस की पहल उत्कृष्ट और अनुकरणीय पहल है। कहा कि, भारत, विविधता में एकता की संस्कृति वाला राष्ट्र है और अखंड भारत की संकल्पना के लिये आपस में विश्वास का होना अति आवश्यक है जिस प्रकार व्यक्ति को जीने के लिये श्वास की जरूरत होती है, उसी प्रकार समाज को जोड़ने के लिये विश्वास की जरूरत होेती है, विश्वास वह सीमेन्ट है जिससे समाज के लोग आपस में जुड़े रहते हैं। समाज जुड़ता है और समाज जुड़ा रहेगा तभी अखंड भारत का निर्माण होगा।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि भारत, दुनिया का एक हिस्सा जरूर है परन्तु भारत केवल जमीन का एक टुकड़ा नहीं बल्कि जीता जागता राष्ट्र है। भारत, केवल भारत नहीं बल्कि भारत माता है। हर देश का एक भूगोल है, पर भारत अनमोल है। यहां की संस्कृति, संस्कार, दिव्यता और भव्यता यहां के मूल्य इसे बहुमूल्य बनाते हैं। उन्होने कहा कि भारत, केवल अपने लिये प्रगति नहीं करता है बल्कि दुनिया की प्रगति में भी अपना अमूल्य योगदान देता है। भारत की संस्कृति हमें चाहे कोई बड़ा हो या छोटा सभी के साथ भाव से रहना सिखाती है। आज हमें ऐसे समाज की जरूरत है जहां व्यक्ति एक-दूसरे के साथ खड़े रहें, वह भी दूसरों को गिराने के लिये नहीं बल्कि हमेशा मदद करने के लिये। हमें समाज में ऐसे भावनात्मक पुलों का निर्माण करना होगा जो जात-पात की दरारों को भरें, ऊँच-नीच की दीवारों को तोडें और जो दिलों से दिलों को जोड़ें और जो दूसरों के दर्द को समझे। किसी के काम जो आये उसे इन्सान कहते है, पराया दर्द अपनायें उसे इन्सान कहते है। हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति है।