स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने भारत की पूर्व विदेश मंत्री, दिवंगत नेता श्रीमती सुषमा स्वराज को उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने भारत की पूर्व विदेश मंत्री, दिवंगत नेता श्रीमती सुषमा स्वराज को उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की
ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने भारत की पूर्व विदेश मंत्री और कद्दावर नेता श्रीमती सुषमा स्वराज की प्रथम पुन्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि आज सुषमा जी सशरीर हमारे बीच में उपस्थित नहीं है परन्तु उनकी आत्मा, 5 अगस्त को अयोध्या में आयोजित श्री राम लला के मन्दिर का शिलान्यास देख कर अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रही होगी। यह एक अद्भुत और ऐतिहासिक संयोग है कि जब उन्होंने इस दुनिया से विदा ली उस दिन उन्होंने अपना आखिरी ट्वीट जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के विषय में बधाई देने हेतु माननीय प्रधानमंत्री को सम्बोधित करते हुये किया था कि ‘‘मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।’’ और उनकी पुण्यतिथि से एक दिन पहले लगभग 500 वर्षों की कड़ी तपस्या का सुखद परिणाम श्री राम मन्दिर का शिलान्यास हुआ। वास्तव में हम सभी के लिये अद्भुत और यादगार समय है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि सुषमा जी ने अपनी जीवन यात्रा में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुये देश को गौरवान्वित किया। वे जिस भी देश की यात्रा पर जाती थी तो वे राजनीतिक सम्बंधों के अलावा भारतीय संस्कृति की अमिट छाप छोड़कर आती थी। सभी के प्रति अद्भुत और अभूतपूर्व उनकी आत्मीयता थी जो सहज ही मन को मोहित कर लेती थीं; दिल को छू लेती थी। सुषमा जी सचमुच देश की शान और महिला शक्ति का पहचान थी। भारत ही नहीं बल्कि विदेशी गलियारों में भी वे एक लोकप्रिय नेता, अद्भुत वक्ता और राजनीतिक शुचिता की धनी मानी जाती थीं। उन्होंने अपने उद्बोधनों से संसद को जागृत और जीवंत बनाये रखा। वे जहां गयी वहां उन्होने जीवन प्रदान किया, लोगों को जगाया जीने का रास्ता दिखाया और देशभक्ति का पाठ पढ़ाया।