महान उपन्यासकार प्रेमचंद की कलम जब भी उठी उसने इतिहास लिखा-स्वामी चिदानंद मुनि महाराज

महान उपन्यासकार प्रेमचंद की कलम जब भी उठी उसने इतिहास लिखा-स्वामी चिदानंद मुनि महाराज

ऋषिकेश- अपनी रचनाओं से हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा प्रदान करने वाले महान उपन्यासकार प्रेमचंद को आज उनके जन्मदिवस के अवसर पर याद करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि जब-जब प्रेमचंद की कलम उठी तो उसने एक नया इतिहास रचा।

उनका हर शब्द पीड़ितों के दर्द की कहानी कहता है तथा उनकी रचनायें एक खूबसूरत इबारत है, ऐसे रचनाकार को नमन।
31 जुलाई, 1880 को प्रसिद्ध हिन्दी कहानीकार और उपन्यासकार प्रेमचंद का जन्म हुआ था. उनके द्वारा रचित साहित्य ने गद्य के दुनिया में परिवर्तन ला दिया था। उनकी प्रत्येक रचना यथार्थ से जुड़ी हुई और एक नई सोच को जन्म देने वाली है। प्रेमचन्द ने किसानों, पीड़ितों, नारी और दलितों को अपने साहित्य का नायक बनाकर उनकी दशा का चित्रण किया। वास्तव में ऐसे नायकों की आज समाज को जरूरत है जो कि अपनी कलम और अपने शब्दों से दुनिया को एक नई राह दिखा सकें।परमार्थ परम अध्यक्ष चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि उपन्यास और गद्य साहित्य की विकास यात्रा में प्रेमचंद का अद्भुत योगदान रहा। उन्होंने गोदान, निर्मला, सेवासदन, प्रेमाश्रम जैसे उपन्यासों को नारीवादी साहित्य के रूप में समर्पित किया। उनका यह साहित्य समाज को एक दिशा प्रदान करने वाला, सुधारात्मक व परिवर्तनकारी साहित्य है।

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