साहित्य के लिए सदैव समर्पित महेश चिटकारिया

साहित्य के लिए सदैव समर्पित महेश चिटकारिया

ऋषिकेश-समाज ओर साहित्य के लिए समर्पित महेश चिटकारिया एक ऐसा नाम है जो वित्त प्रणाली की कठिनता मे संलग्न अर्थात भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया मे अनेक वरिष्ठ पदों पर रहते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं वहीं साहित्य ओर समाज की सेवा मे भी निरंतर सक्रिय हैं।
आवाज़ साहित्यिक संस्था के महत्वपूर्ण स्तम्भ के रूप मे रहते हुए महेश चिटकारिया ने अनेक रचनाओं को संकलित कर पाठकों को देने का जहाँ कार्य किया वहीं अपने महत्वपूर्ण संकलन “परछाइयों के प्रतिबिम्ब” मे संकलित कविताओं से साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों मे अच्छी पहचान बनाई ।

साधारण परिवार मे जन्मे चिटकारिया संघर्षों के सिपाही रहे हैं। ज्ञान ओर अथक परिश्रम के साथ व्यवहार ओर वाणी के धनी रहते हुए बेहतरीन मंजिल पर पद स्थापित हुये काव्यांश प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक- स्मृति के द्वार, मेरा कमरा नामक ग्रन्थ मे अपनी संघर्षों के स्मरण से हर संघर्ष के सिपाहियों के लिए प्रेरक लेख प्रस्तुत किया ।कुछ ही समय बाद एक बेहतरीन उपान्यास जो पाठकों के हाथों मे आने
वाला है जो सन्देश देगा की संकल्प किस रूप से लक्ष्य को प्राप्त करने मे सहायक होता है ।साहित्य के साथ बचपन से ही कला मे आकर्षक चित्रकारी, रंगमंचीय कलाकार रहते हुए उन्हें कई मंचों को साझा करने का अवसर प्राप्त हुआ है ।सामाजिक क्षेत्र मे भगीरथ प्रयास करने वाले चिटकारिया अनाथ बालिकाओं के लिए निरन्तर प्राश्रय देते हुए प्रेम दिव्य आश्रम से जुड़े हुए हैं ।पुस्तकों से मिलने वाली जो धनराशि होती है वह इन बालिकाओं के उत्थान के लिए समर्पित करते हैं ।चेहरे पर बेहतरीन मुस्कान ओर हर के लिए सम्मान रखने वाले अपने विभाग मे भी हरफनमौला माने जाते हैं।परिवार की पृष्ठभूमि मे निरन्तर संस्कारों के गंगाजल का परिणाम जिसके कारण सहधर्मणी शिक्षा विभाग मे शिक्षिका के पद पर रहते हुए हर कार्य मे सहयोगी रहती है दोनों सुपुत्रीयां इंजीनियरिंग की दीक्षा के बाद अपने मंजिलों पर अग्रसर हैं। समय -समय पर अनेक शिक्षण संस्थाओं मे जनोपयोगी सेवा देकर सहयोग करने वाले महेश चिटकारिया वर्तमान मे भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया रेलवे रोड ऋषिकेश मे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए साहित्य ओर समाज के लिए अपना समय निकालकर प्रेरणा के शिखर पर हैं।

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