केदार आपदा के सात साल बाद भी नहीं बन पाई संस्थान की क्षतिग्रस्त पुलिया

केदार आपदा के सात साल बाद भी नहीं बन पाई संस्थान की क्षतिग्रस्त पुलिया
ऋषिकेश-राजकीय पॉलिटेक्निक गढ़ी श्यामपुर के नाम से ग्राम सभा खदरी खड़क माफ की सीमा पर स्थित संस्थान की चहारदीवारी सहित संस्थान को मार्ग से जोड़ने वाली पुलिया वर्ष 2013 में आई केदारनाथ आपदा की बाढ़ से ढह गई थी,किन्तु सात वर्ष बीत जाने के बाद भी आजतक न तो पुलिया बन पाई न परिसर की सुरक्षा चहारदीवारी का पुनर्निर्माण हो पाया है।
ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी जिम्मेदारों को नहीं है।हकीकत यह है कि वर्ष 2006 में तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री एवं डोईवाला विधायक हीरा सिंह बिष्ट ने इसे बनवाया था जो कि 11 एकड़ भूमि पर बना राज्य का सबसे बड़ा और सर्वाधिक लागत का पॉलिटेक्निक संस्थान है किन्तु वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के कारण गंगाजल स्तर बृद्धि के कारण इसकी सुरक्षा चहारदीवारी सहित मुख्य गेट सहित पुलिया ढह गई थी।इसकी जानकारी विद्यालय प्रसाशन सहित समाजसेवियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रसाशन को देते हुए विद्यालय संरक्षण और क्षतिग्रस्त पुलिया निर्माण की माँग लगातार की जाती रही है।लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने समस्या से मुँह फेरा हुआ है।पॉलिटेक्निक संस्थान के पर्यावरण संरक्षक एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रान्त पर्यावरण प्रमुख विनोद जुगलान द्वारा पी एम ओ से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को न केवल पत्र प्रेषित कर राज्य की करोड़ो की संपत्ति के इस संस्थान के संरक्षण हेतु चहारदीवारी और पुलिया के निर्माण की न केवल माँग की गई बल्कि समस्या का निस्तारण न होने के कारण सीएम पोर्टल पर भी एक वर्ष पूर्व 14 जुलाई 2019 को शिकायत संख्या 24394 दर्ज कराते हुए समस्या के निराकरण की माँग की गई।किन्तु छह माह बीत जाने के पश्चात भी जब कोई निराकरण नहीं निकला तो 29 दिसम्बर 2019 को मुख्यमंत्री कार्यालय में उनके कार्यकारी अधिकारी अभय सिंह रावत से भेंटकर समस्या के शीघ्र निराकरण का आग्रह किया।उन्होंने बताया कि समस्या के निराकरण हेतु जिलाधिकारी महोदय द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र उनके पत्रांक संख्या- 06/सी0एम0/हैल्प/2019-20 दिनाँक 27 अगस्त 2019 गत वर्ष व्हाट्सएप के माध्यम से एडीएम कार्यालय से अवश्य प्राप्त हुआ था कि मुख्य जिला विकास अधिकारी को प्रश्नगत समस्या के निस्तारण हेतु पुलिया के निर्माण और चहारदीवारी की मुरम्मत हेतु जिला योजना समिति के गठन के उपरान्त समिति की बैठक में प्रस्ताव करने के आदेश जारी किए गये थे।किन्तु इस बात को बीते हुए भी लगभग एक साल हो चला है किन्तु आजतक स्थिति न केवल जस तस बनी हुई है बल्कि क्षतिग्रस्त पुलिया के जर्जर होने के कारण जहाँ आने जाने वालों की जान का खतरा बना हुआ है बल्कि सुरक्षा दीवार क्षतिग्रस्त होने के कारण संस्थान परिसर में खाली पड़े कर्मचारियों के आवासों के दरवाजे तोड़कर असामाजिक तत्वों सहित नशेड़ियों का आये दिन यहाँ जमावड़ा लगा रहता है।जिससे कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।