जनसंख्या वृद्धि के विस्फोट पर अंकुश जरूरी-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

जनसंख्या वृद्धि के विस्फोट पर अंकुश जरूरी-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश- दुनिया भर में बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों को परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, मानवाधिकार और मातृत्व स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी जाती है।
विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि भारत में जिस वेग से जनसंख्या वृद्धि हो रही है वह वास्तव में चिंतन का विषय है। जनसंख्या वृद्धि से हमारी जीवन प्रणाली पर भी ग्रहण लग जायेगा। साथ ही जल, जलवायु, भोजन और प्राकृतिक संसाधन सब पर भी ग्रहण लग जायेगा। उन्होंने कहा कि भारत को बढ़ती जनसंख्या के ग्रहण से शीघ्र ही मुक्ति पाना होगा, अन्यथा बहुत देर हो जायेगी।

स्वामी चिदानंद ने कहा कि धरती पर अगर इसी तरह से जनसंख्या वृद्धि होेती रही तो धरती पर न स्वच्छ जल होगा न जलवायु होगी, न खाने को पर्याप्त अन्न होगा न सुविधा पूर्वक रहने को जमीन होगी। इससे बीमारी, बेरोजगारी और हिंसा भी बढ़ेगी। आज ही देख लो न आंकड़े सामने है बच्चों में कुपोषण की मात्रा बढ़ रही है जिससे बच्चों के सोचने, समझने की शक्ति भी कमज़ोर हो रही है साथ ही उनके शरीर का पूर्ण रूप से विकास भी नहीं हो पा रहा है। जनसंख्या वृद्धि के कारण ही बेरोजगारी की समस्यायें बढ़ रही हैं, जिससे परिवार और समाज में धीरे-धीरे हिंसा बढ़ती जा रही है। साथ ही इससे भुखमरी और भिक्षावृति में भी वृद्धि हो रही है। स्वामी चिदानंद ने कहा कि बच्चों को भिक्षा नहीं, शिक्षा चाहिये और शिक्षा भी संस्कार युक्त शिक्षा हो। वर्तमान समय में देखा जाये तो न पूरीे शिक्षा है, न चिकित्सा है, आगे क्या हाल होगा जरा सोचें तो सही। सरकार अपनी तरफ से भरपूर कोशिशें कर रही है, लेकिन तमाम कोशिशों के बाव़जूद भी जनसंख्या का खतरा कम नहीं हो पा रहा है।स्वामी चिदानंद ने देशवासियों से आह्वान किया कि ’हम दो-हमारे दो’ और सबके दो’ इस मंत्र पर अमल करना बहुत जरूरी है।

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