महंगाई की आंंच से झुलसा रसोई का बजट

महंगाई की आंंच से झुलसा रसोई का बजट

आलू उबला, टमाटर लाल गृहणियों का बुरा हाल

ऋषिकेश- गृहणियों को महंगाई डायन खाए जाते गीत फिर से याद आने लगा है।दालें सो के पार हों और सब्जियों के दामों में भी आग लगी हो घर का बजट बिगड़ना स्वाभाविक ही है ।आलू और टमाटर के दाम रसोई का बजट बिगाड़ने के लिए काफी हैं। कुछ दिनों पहले तक आठ रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकने वाला टमाटर के दाम 50 रुपये प्रतिकिलो को छू गये हैं।जबकि आलू और प्याज तीस रूपये प्रतिकिलो की पर लगातार बने हुए हैं।

बरसात में जहां मौसम का मिजाज ठंडा होता है। वहीं, सब्जियों के तेवर गर्म हो गए हैं। खासकर आलू,प्याज और टमाटर के दाम रसोई का बजट बिगाड़ने के लिए काफी हैं। कुछ दिनों पहले तक आठ रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकने वाले टमाटर के दाम वृहस्पतिवार को 50 रुपये पर पहुंच गये। वहीं, आलू 30 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से ग्राहकों ने खरीदा। आढ़तियों के मुताबिक स्थानीय आवक समाप्त होने के कारण सब्जियां महंगी हुई हैं।गृहिणी रश्मि नौडियाल के अनुसार कोराना संकटकाल मैं लगातार बढ़ रही सब्जी की कीमतें चिता का विषय हैं। हर साल ऐसा ही होता है। इसका सीधा असर रसोई के स्वाद और गृहिणी के बजट पर पड़ता है।प्रशासन को इसपर ध्यान देने की जरुरत है। गृहिणी ज्योत्सना थपलियाल के अनुसार रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली सब्जियों में टमाटर के तड़के के बिना स्वाद नही आता।मुश्किल यस है कि लॉकडाउन के दौरान जो टमाटर 15 रुपये किलो मिल रहा था अब उसकी कीमत 50 रुपये किलो हो गई है। गृहिणी सवी रैैवानी ने बताया टमाटर एवं अन्य सब्जियों की बढ़ती कीमत से रसोई का बजट बिगड़ जाता है। जिसकी भरपाई के लिए अन्य राशन के समान में कटौती करनी पड़ती है। स्थानीय प्रशासन को कोरोना संकट के इस मुश्किल दौर में सब्जियों की कीमतें नियंत्रित रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

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