भारत ने गुरूओं के रूप में विश्व को अनमोल रत्न दिये-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

भारत ने गुरूओं के रूप में विश्व को अनमोल रत्न दिये-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन में सोशल डिस्टेंसिंग का गंभीरता का पालन करते हुयेे गुरूपूर्णिमा मनायी । स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ पूज्य गुरू परम्परा का पूजन किया।

देश विदेश से आये साधक जो लाॅक डाउन के पहले से परमार्थ निकेतन में रह रहे है उन भक्तों, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों और आचार्यों ने भी वेद मंत्रों के साथ स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज का पूजन किया।
आज परमार्थ निकेतन में पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी शुकदेवानन्द सरस्वती महाराज का 55 वाँ निर्वाण-महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर श्रीरामचरित मानस का पंचदिवसीय सामूहिक संगीतमय पाठ का आयोजन किया गया।
गुरूपूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि आज का दिन भारतीय संस्कृति और सनातन परम्परा में बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमारे शास्त्रों में भी गुरू की अद्भुत महिमा बतायी गयी है। गुरूपूर्णिमा, पूरे विश्व के लिये भारत की ओर से एक बहुत बड़ा संदेश है।
भारत में सतयुग से लेकर प्राचीन हड़प्पा सभ्यता और अब आधुनिक समय तक धर्म, दर्शन और परंपराओं का अद्भुत सम्मिश्रण तथा अत्यंत समृद्ध इतिहास रहा है। अनादि काल से ही भारत में शिक्षा की व्यवस्थायें, गुरूकुल शिक्षा पद्धति उत्कृष्ट स्तर की रही है। साथ ही गुरू शिष्य परम्परा भी अनुपम परम्परायें थी जो कि वर्तमान समय में भी जीवंत बनी हुई है।भारत में गुरूओं का अद्भुत इतिहास रहा है।

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