पर्यावरणविद् विनोद जुगलान ने प्रयोग के तौर पर उगाई विभिन्न प्रकार की तुलसी

पर्यावरणविद् विनोद जुगलान ने प्रयोग के तौर पर उगाई विभिन्न प्रकार की तुलसी
ऋषिकेश-ऋषि मुनियों की तपस्थली पौराणिक तीर्थ और आधुनिक समय में योग और पर्यटन नगरी के नाम से प्रसिद्ध ऋषिकेश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है।देश व्यापी लॉक डाउन अवधि जहाँ पूरा देश कोरोना महामारी की चुनौतियों को झेल रहा था वहीं दूसरी ओर अपनी जान की परवाह किये बिना कोरोना के खिलाफ सामाजिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कोरोना योद्धा सम्मान से सम्मानित जैव विविधता समिति के अध्यक्ष पर्यावरण सचेतक विनोद जुगलान विप्र ने लॉक डाउन पीरियड में नए-नए प्रयोग करते हुए चुनौतियों को अवसर में बदलने का कार्य किया।
इस अवधि में उन्होंने न केवल निराश्रित पशुओं को चारा देने और जरूरतमंदों को राशन वितरण करने का पुण्य कार्य किया बल्कि घर पर रहते हुए रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना डाला साथ ही प्रयोग के तौर पर विभिन्न प्रकार की तुलसी उगाकर समाज को यह संदेश दिया कि हम चुनौतियों को अवसर में कैसे परिवर्तित कर सकते हैं।पर्यावरण संरक्षण को समर्पित श्री जुगलान ने बताया कि सनातन संस्कृति में माता का पूज्य स्थान प्राप्त तुलसी जी को आयुर्वेद में जड़ी बूटियों की रानी का दर्जा प्राप्त है जो जीवन के लिए अमृतरस सुधा है।ये नौ प्रकार की होती है जिनमें रामा-श्यामा तुलसी,विष्णु तुलसी,बदरी तुलसी,लौंग तुलसी,नींबू तुलसी,शुक्ला तुलसी,मरवा तुलसी एवं वन तुलसी आदि हैं।इनके अर्क से न केवल गंभीर रोगों के उपचार हेतु औषधि निर्मित की जाती हैं बल्कि पत्तियों से हर्बल चाय भी निर्मित की जाती हैं।साथ ही दिव्य और पवित्र पौधा होने के कारण द्वारका धाम से लेकर बद्रीनाथ धाम के मंदिर में श्री प्रभु को तुलसी जी का भोग लगाया जाता है।पर्यावरण मामलों के जानकार बताते हैं कि यदि तुलसी की पौध को सर्दियों में पाले की मार से और गर्मियों में धूप से बचाया जाए तो बड़े स्तर पर तुलसी की खेती से राज्य में आर्थिकी का विकास हो सकता है।उन्होंने प्रयोग के तौर पर ग्राम सभा खदरी स्थित अपने आवास पर पाँच प्रकार की तुलसी के पौधे उगाए हैं।जिनमें राम,श्याम तुलसी के अतिरिक्त शुक्ला और बदरी तुलसी भी शामिल हैं।शीघ्र ही लौंग तुलसी और नींबू तुलसी उगाई जाएगी।इसके अतिरिक्त भी कई प्रकार के औषधीय पौधे उगाकर औषधीय वाटिका तैयार की है।उत्तराखण्ड राजकीय आयुर्वेद कालेज हरिद्वार के शल्य विभाग प्रोफेसर डॉ देवेश शुक्ला ने औषधीय वाटिका स्थापित करने पर हर्ष व्यक्त करते हुए आयुष संरक्षण की दिशा में एक प्रभावी कदम बताया है।