हीरो बनने की ख्वाहिश थी,संघर्षों ने सतेंद्र सिंह चौहान को बनाया साहित्यकार

हीरो बनने की ख्वाहिश थी,संघर्षों ने सतेंद्र सिंह चौहान को बनाया साहित्यकार
ऋषिकेश- कुछ लोगों में प्रतिभा का खजाना कूट-कूट कर भरा होता है। अपनी बहुमुखी प्रतिभा के जगह ऐसे ही लोग समाज में एक विशिष्ट स्थान हासिल भी करते हैं। सत्येंद्र सिंह चौहान का नाम भी उन लोगों में शुमार है जो देवभूमि ऋषिकेश में साहित्य के क्षेत्र में अपनी खास पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं।
सत्येंद्र सिंह चौहान सोशल की प्रारम्भिक शिक्षा अपने गांव में हुई ,गांव मे शिक्षा की अच्छी व्यवस्था न होने के कारण कक्षा 6 से अपने बड़े भाई नरेंद्र सिंह चौहान के साथ ऋषिकेश नगरी में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आ गये। जूनियर स्तर की पढ़ाई पूर्णानंद इंटर कॉलेज में उसके बाद की शिक्षा श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज में हुई ।ऋषिकेश डिग्री कॉलेज से एम काम तक उच्च शिक्षा प्राप्त की ।आर्थिक स्थिती कमजोर होने के कारण बीकॉम प्रथम वर्ष से ही वह सोशल ग्रुप ऑफ कंपनी मे पार्ट टाइम जॉब से जुड़ गये , और 1 साल बाद ही कंपनी में शिक्षा के साथ-साथ अपनी सेवाएं शुरू कर दी ।माता – पिताजी की सेवा के कारण कम उम्र में ही पारिवारिक जवाबदारियां बढ़ती चली गई लेकिन वह संघर्षों से सदैव आगे बढ़ते रहे । सतेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि बचपन से ही सांस्कृतिक कार्यक्रमो गांव मे रामलीला के साथ साथ अनेक लोक संस्कृति के मंचों पर उन्होंने अभिनय किया जिसके कारण गढ़ साहित्य की तरफ उनकी अभिरुचि बढ़ती गई ।पहली बार गढ़वाली फिल्म घर जमाई ऋषिकेश हॉल में देखी तो उनके मन में अपनी संस्कृति के प्रति लगाव उत्पन्न हुआ गढ़वाली फिल्मों में हीरो बनने की इच्छा थी परंतु संघर्षों ने साहित्यकार बना दिया। कॉलेज के समय में मित्र अशोक चौहान एक सांस्कृतिक संस्था बनाई थी। जिसका नाम दैनंदिनी कला मंच था उस टीम के द्वारा हमने कई कार्यक्रमों में भाग लिया जिसमें कुंजापुरी मेला गोचर मेला और आसपास के कई क्षेत्रीय कार्यक्रम शामिल रहे। उन्होंने बताया कि
साहित्य के प्रति रुझान आवाज़ संस्था के संस्थापक अशोक क्रेजी रहे।जिनकी प्रेरणा से संस्था के कई संकलनों मे गढ़वाली रचनाएँ प्रस्तुत की। कवि सम्मेलनों मे जाने का सौभाग्य मिला डॉक्टर राजे सिंह नेगी की होसला अफजाई से जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए ऋषिकेश में पहली बार आयोजित हुए गढ़वाली कवि सम्मेलनमें मुझे भी अवसर दिया। उसके बाद गढ़वाली कवि सम्मेलन आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में भी लगातार अवसर मिलते रहे। उत्तराखंड राज्य के अतिरिक्त कई प्रान्तों के कवि सम्मेलन में जाने का अवसर मिला जिससे मुझे पहचान मिली। सतेंद्र चौहान के अनुसार परम मित्र गढ़वाली फिल्मों के नायक निर्देशक अशोक चौहान ने गढ़वाली फिल्म में पटकथा लिखने का मौका दिया।इस बीच दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक दादी की पटकथा एवं संवाद लिखने का मौका भी मिला गढ़वाली फिल्म में सर्वप्रथम औंसी की रात,जुन्यालि रात, जल्मू कु साथ ,गढ़ गौरव , गंगा का मैती छल फिल्मों की पटकथा एवं संवाद लिखें। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में भी उनकी सक्रियता सोशल मीडिया में बनी रही । फेसबुक पर 9 वीडियो कविता 6 लिखित कविता डाली गई जिनमें लोगों का असीमित प्रेम मिला।