
आरक्षित वनक्षेत्र में गांंजे के तस्करों ने डाला डेरा, जिम्मेदारों ने मुंंह फेरा
ऋषिकेश-ग्रामीण क्षेत्र ऋषिकेश के लक्कड़ घाट के सामने पड़ते राजा जी नेशनल पार्क की गोहरी वन बीट अन्तर्गत गांंजे, सुल्फे की तस्करी करने वाले आधादर्जन से अधिक तस्करों ने प्रतिबंधित वन क्षेत्र में टेंट लगाकर डेरा डाला हुआ है।
इस बात का पता ग्रामीणों को तब चला जब उन्होंने जँगल में धुँआ उठते देखा।इस बात की पुष्टि की पुष्टि तब हो गयी जब सुबह दौड़ लगाने आए युवाओं ने राजकीय पॉलिटेक्निक के समीप कुछ लोगों को सन्यासियों के भेष में जँगल की ओर राशन और खाने-पीने का सामान लेजाते हुए देखा।युवाओं के आवाज लगाने पर वे ठन्डे कुण्ड के समीप नदी पार करते हुए पार्क क्षेत्र के जँगल में प्रवेश कर गये।ग्रामीणों का कहना है कि ये नशे के सौदागर भेष बदलकर जँगल में रहते हुए भाँग मलने का कार्य करते हैं और इस गाँजे सुल्फे का प्रयोग कांवड़ यात्रा के दौरान बिक्री के लिए किया जाता है।कुछ लोगों का कहना है कि नशे के इन तस्करों से स्थानीय युवाओं को भी नशे की लत लग रही है लेकिन लोकलाज के भय से उनके अभिभावक जानबूझकर अज्ञात बने हुए हैं।हैरानी की बात यह है कि एक ओर प्रसाशन ड्रग्स के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चला रहा है और दूसरी ओर कुनाउ सहित वन विभाग की चौकी के समीपवर्ती क्षेत्र में नशेड़ियों और तस्करों ने आरक्षित वन क्षेत्र में डेरा डाल कर अड्डा जमा लिया है और पौड़ी जनपद का वन विभाग चैन की नींद सो रहा है।सूत्रों का कहना है कि गाँजे सुल्फे की कीमत चांदी से अभी अधिक होने के कारण तस्कर जँगलों में भाँग मलकर चांदी काट रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारी मुँह फेरे हुए हैं।जँगलो में अवैध रूप से रहने वाले ये नशे के सौदागर आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैं जो आपस में झगड़ा होने पर नशे में एक दूसरे पर वार करने से भी नहीं डरते हैं।समय रहते वन विभाग के अधिकारियों को इस ओर ध्यान देते हुए यह पड़ताल करने की भी जरूरत है कि इस अनैतिक कार्य में कोई विभागीय कर्मी तो शामिल नहीं है।वरना इस गोरखधंधे का खुलासा विभाग आजतक क्यों नहीं कर पाया है।