लोक संस्कृति के पुरोधा जीत सिंह नेगी के निधन पर गढवाल महासभा ने जताया गहरा शौक

लोक संस्कृति के पुरोधा जीत सिंह नेगी के निधन पर गढवाल महासभा ने जताया गहरा शौक
ऋषिकेश-गढवाल महासभा ने उत्तराखंड के प्रसिद्ध गढ़वाली लोक गायक,रंगकर्मी, रचनाकार लोक संगीत के पुरोधा जीत सिंह नेगी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।गढ़वाल महासभा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ राजे नेगी ने कहा कि उनके निधन से उत्तराखण्डी संस्कृति एवं कला जगत को अपूरणीय क्षति हुई है,जिसकी भरपाई हो पाना नामुमकिन है।वर्ष 1927 पौड़ी जनपद में जन्मे जीत सिंह नेगी के गीत तू होली ऊंची डांडयू मा बीरा घस्यारी का भेष मा,काली रतब्योन,बोल बौराणी क्या तेरो नों च आदि बेहद प्रसिद्ध गीतों में से थे।उन्होंने आकाशवाणी से कई लोकप्रिय गीत गाये।अपने 95 वर्ष की सफल जीवन यात्रा में उन्होंने गढ़वाली गीत संगीत,नाट्य लेखन, निर्देशन और मंच प्रदर्शन के जरिये उत्तराखंड की संस्कति का सफल नेतृत्व किया।1960 से लेकर 70 के दशक के वे सबसे लोकप्रिय गायक रहे।जीत सिंह नेगी के भूले बिसरे गीतों को बाद में गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने भी अपनी स्वर देकर एक कैसेट में पिरोया था।वे उत्तराखंड के पहले गायक थे जिनके गीतों को उस दौर की मशहूर ग्रामोफोन कम्पनी हिज मास्टर वायस यानी एचएमवी ने वर्ष 1948 में रिकॉर्ड किया था।अपनी कालजई रचनाओं से दर्शकों के दिल में राज करने वाले लोकगायक जीत सिंह नेगी मृदुभाषी व्यवहार के धनी शांत स्वभाव के थे। महासभा के संरक्षक कमल सिंह राणा ने कहा कि जीत सिंह नेगी उत्तराखंड की लोकसंस्कृति,लोकभाषा एवं रंगमंच के मजबूत हस्ताक्षर थे।देवभूमि उत्तराखंड के सौंदर्य,संस्कृति को अपने गीतों में जिस खूबसूरती से उन्होंने पिरोया, ऐसा शायद ही कोई और कर पाए। उनके आकस्मिक निधन पर महासभा के प्रदेश महासचिव उत्तम सिंह असवाल,विनोद जुगलान, समाजसेवी मधु असवाल,रोशनी राणा,मनमोहन नेगी,दीपक धमन्दा,लोकगायक कमल जोशी,धूम सिंह रावत, साहब सिंह रमोला,कृष्णा कोठारी, साहित्यकार सतेंद्र चौहान,धनेश कोठारी,मनोज नेगी,प्रमोद असवाल ,वीरेंद्र नौटियाल आदि ने गहरा शोक व्यक्त किया है।