लोक संगीत के पुरोधा हीरा सिंह राणा के निधन पर गढवाल महासभा ने जताया शौक

लोक संगीत के पुरोधा हीरा सिंह राणा के निधन पर गढवाल महासभा ने जताया शौक

ऋषिकेश- गढ़वाल महासभा ने उत्तराखंड के महान लोक गायक, लोक कवि व लोक संगीत के पुरोधा हीरा सिंह राणा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।गढ़वाल महासभा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ राजे नेगी ने कहा कि उनके निधन से उत्तराखंड संगीत जगत को अपूरणीय क्षति हुई है, जिसकी भरपाई हो पाना नामुमकिन है। अपनी कालजई रचनाओं से दर्शकों के दिल में राज करने वाले लोकगायक राणा उनका प्रसिद्ध गीत जो आज हर किसी की जुबान पर है। रंगीली बिन्दी घाघरी इसके अलावा भी उनके द्वारा सैकड़ों गीत लिखे एवं गाये गये जिससे कुमाऊं की संस्कृति और गीतों को नई पहचान मिली। मृदुभाषी व्यवहार के धनी शांत स्वभाव, उच्च विचार लेखक कवि आकाशवाणी से राणा के गीतों को नई पहचान मिली थी। डा नेगी ने कहा हिरदा के नाम से प्रसिद्ध हीरा सिंह राणा उत्तराखंड की लोकसंस्कृति के मजबूत हस्ताक्षर थे।देवभूमि उत्तराखंड के सौंदर्य,राज्य आंदोलन एवं पलायन को अपने गीतों में जिस खूबसूरती से उन्होंने पिरोया, ऐसा शायद ही कोई और कर पाए। उनकी प्रतिष्ठा व दूरगामी सोच को देखते हुए दिल्ली राज्य सरकार ने उन्हें गढ़वाली कुमाऊनी, जौनसारी भाषा के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी।उनके आकस्मिक निधन पर महासभा के संरक्षक कमल सिंह राणा,लोकगायक कमल जोशी,धूम सिंह रावत, साहब सिंह रमोला,कृष्णा कोठारी साहित्यकार सतेंद्र चौहान,धनेश कोठारी,समाजसेवी विनोद जुगलान,उत्तम सिंह असवाल ,वीरेन्द्र नौटियाल ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

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