नवोद्वविद साहित्यकारों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं -प्रबोध उनियाल

नवोद्वविद साहित्यकारों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं -प्रबोध उनियाल

ऋषिकेश-तीर्थ नगरी में साहित्याकारों का जिक्र हो तो मृदुभाषी प्रबोध उनियाल का नाम बरबस सामने आ ही जाता है।शहर मेंं साहित्यिक गतिविधियों को बड़ावा देने में उनका योगदान किसी से छिपा नही है।कहते हैं साहित्य, संगीत और कला से विहीन मनुष्य साक्षात नाख़ून और सींघ रहित पशु के समान है ।
साहित्य संवेदनाओं का सागर है साहित्यकार की साधना ,उपासना वन्दना से ही साहित्य का रथ आगे बढ़ता है इसी साहित्य के रथ को इस नेमैयसारणय तीर्थ पर आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं एक ऐसी विलक्षण प्रतिभा के धनी, साहित्य के क्षेत्र मे सशक्त हस्ताक्षर के रूप मे, उत्तरापथ की भूमि मे साहित्य के अनन्त विभूषित पूज्य पार्थ सारथी डबराल के अरण्यक साहित्यकशाला मे गुरुत्व की छाया मे पल्लवित प्रबोध उनियाल। कलम के सिपाही , शब्दों का पारखी,काव्य सृजन की मेधा,जो शिक्षा के क्षेत्र मे विज्ञान बर्ग की किलिष्ठता के धनी रहे प्रबोध धारा के विपरीत साहित्य मे पारंगतता के शिखर को छूकर
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगातार सक्रिय लेखन करते रहे हैं ।बच्चों का नजरिया,स्मरणम(पार्थसारथी डबराल स्मृति ग्रंथ),स्मृतियों के द्वार, लुहार मामा ,ज्ञान का दो दान,जैसे कालजयी संकलनों के लेखक व संकलनकर्ता ,काव्यांश प्रकाशन जैसे अखण्ड ज्योति को इस धर्म नगरी मे प्रज्वलित करने वाले ,साहित्यक संस्था आवाज़ के हर संकलन मे बेहतरीन सृजन, पत्रकारिता जगत मे समसामयिकी विषय पर कलम से डंके की चोट ,के मर्मज्ञ उनियाल नवोद्वविद सृजनकारों के लिए प्रेरणा स्रोत माने जाते हैं।
बचपन मे मातृत्व की छाया से वंचित होने वाले प्रबोध साहित्य के सरोवर की ओर आकर वात्सल्य के सुख को ढूंढने की कोशिश मे साधनामय हो गये ।संघर्षों से भरा जीवन कसौटी पर उतरने की प्रेरणा का सृजक बन गया ओर जीवन यात्रा ने आगे बढ़ना शुरू किया ।सरलता सहजता व एक बेहतरीन सहयोगात्मक दृष्टिकोण रखने वाले प्रबोध की वर्तमान सम्प्रति विज्ञान शिक्षक के रूप मे धर्म नगरी के प्रतिष्ठित विद्यालय -गंगोत्री वि निकेतन के साथ अनेक संस्थाओं से जुड़कर समाज के क्षेत्र मे भी जन चेतना के कार्यक्रमों मे संलग्न रहते हैं।अनेकों साहित्यकारों की दीर्घा मे रहते हुए महान साहित्यकार पार्थ सारथी डबराल के उत्कृष्ट शिष्यों मे अपनी पहचान रखते हुए उत्तरापथ के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अतुल शर्मा( साहित्य शिरोमणी ) को अपना आदर्श मानते हैं ।
आवाज़ के साथ अनेकों मंचों पर अपने गीतों कविताओं को नये अंदाज मे स्रोताओं को मन्त्र मुग्ध करने वाले प्रबोध नवोद्वविद साहित्यकारों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं ।

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