कोरोना कहर में फांके से गुजर रहे “वेदपाठी”

कोरोना कहर में फांके से गुजर रहे “वेदपाठी”

ऋषिकेश-समस्त संसार देवता के अधीन है और समस्त देवता मंत्रों के अधीन हैं । सभी मंत्र ब्राह्मणों के अधीन हैं, इसलिए ब्राह्मण देवता है।लेकिन कोरोना ने ब्राह्मणों की स्थिति दयनीय बना दी है।

कोरोना वायरस के कहर में मंठो एवं मंदिरों पर ताले
लटके हुए हैं।गंगा दर्शन पर भी पाबंदी लगी हुई।इन सबके बीच तमाम धार्मिक गतिविधियों के बंद होने से धर्मनगरी ऋषिकेश में वेद पाठियों की आजीविका पर पूरी तरह से ग्रहण लगा हुआ है।आलम यह है कि ईश्वर का मार्ग दिखाने वाले फांके के दौर से गुजरने को विवश हैं।वैश्विक महामारी के संकट मे जहाँ आज समाज का हर वर्ग उद्यमी से लेकर श्रमिक अर्थात पूंजीवादी से लेकर निम्न वर्ग तक जीविकोपार्जन की चिंता मे है वहीं समाज का एक ऐसा वर्ग जो सदैव विश्व कल्याण के लिए “सर्वे भवन्तु सुखिना ” की कामना की उपासना, वन्दना, साधना मे लगा रहा है ।जिसकी जीविका का एक मात्र स्रोत यही कार्य रहा है।पूजा पाठ ,नित्य कर्म पद्वति से ही भरण पोषण की परम्परा सनातनी परम्परा मे अनादिकाल से चली आई है वह वेद मन्त्रों के अन्वेषकों की परम्परा को बढ़ाने वाले इस महामारी के संकट से अछूते नहीं हैं, ऋषियों की नगरी ह्रषिकेश नारायण की भूमि मे कई वेद पाठी आज संकट की स्थिति मे हैं ।शिक्षाविद डा सुनील दत्त थपलियाल, डॉ जनार्दन केरवाण, सुभाष डोभाल, गंगाराम व्यास ,शिवस्वरूप नोटियाल ,जितेंद्र भट्ट, आदि ने वेेदपाठियों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति
पर चिंता व्यक्त करते हुए लोगों से इनकी मदद के लिए सहयोग का हाथ आगे बड़ाने की अपील की है।उन्होंने
उन तमाम धर्म संस्थाओं के शंकराचार्यों,महा मन्डलेश्वरों, धर्म ध्वजा संरक्षकों, संवर्धकों , महंतों ,अधिष्ठाताओं , अनुषांगिक संगठनों से भी अनुरोध किया कि जहाँ आप अपने धन की कृपाद्रता का अंश प्रधान मंत्री कोष या मुख्यमंत्री कोष मे राष्ट्र रक्षा हित मे दे रहे है निश्चित अनेकों पुण्यों का संचय कर रहे हैं, वहीं इन वेदों की ऋचाओं के संवर्धकों को भी कुछ न अंश अनुष्ठान (भंडारा ) को मानते हुए प्रदान करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: