प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण किया जाना जरूरी-विनोद जुगलान विप्र

प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण किया जाना जरूरी-विनोद जुगलान विप्र
ऋषिकेश, श्यामपुर न्याय पंचायत क्षेत्र की ग्रामसभा खदरी खड़क माफ अन्तर्गत गाँव की सीमा पर खेतों के निकट प्राकृतिक जल स्रोतों का इतिहास लगभग सौ वर्षों से अभी अधिक पुराना है।बीते समय में ये जल स्रोत ही गाँव के लिए न केवल जल स्रोत थे बल्कि गाँव में सैकड़ों परिवारों की प्यास बुझाने का मुख्य साधन भी रहे हैं।वर्तमान समय में भी लोग गर्मी से राहत पाने के लिए इन जल स्रोतों का उपयोग करते हैं।लेकिन उपेक्षा के कारण चोपड़ा फार्म के समीप, लक्कड़ घाट व खादर स्थित इन जल स्रोतों में जल की मात्रा लगातार कम हो गयी है।एक मात्र खादर स्थित प्राकृतिक जल उगल स्रोत को ही कुछ स्थानीय युवाओं ने श्रम दान करके संरक्षित करने का प्रयास किया था जिससे आज भी यहाँ पीने योग्य पानी उपलब्ध हो रहा है।जिला गंगा सुरक्षा समिति के सदस्य पर्यावरणविद ने जनवरी माह में हुई पँचायत की खुली बैठक में इन जल उगल प्राकृतिक स्रोतों के संरक्षण हेतु प्रस्ताव दिया था, जिसकी संस्तुति की सूचना जिला विकास अधिकारी प्रदीप कुमार पाण्डेय द्वारा उपलब्ध कराई गई है कि खदरी खड़क माफ के प्राकृतिक जल स्रोतों और जल कुंडों के पुनर्निर्माण हेतु मनरेगा में एक लाख रुपये यानी लगभग तीन सौ मानव दिवसों की स्वीकृति दी गई है।पर्यावरणविद विनोद जुगलान का कहना है कि ये जल स्रोत न केवल समाज के लिए पौराणिक विरासत हैं बल्कि इनका शुद्ध जल जीवन जीने का आधार भी है।खेतों में कार्य करने वाले हजारों कृषक इन जल स्रोतों से जल पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं।समय रहते इन जल स्रोतों सहित पूरे राज्य में मौजूद पुराने जल स्रोतों का संरक्षण किया जाना नितांत आवश्यक है ताकि आने वाली हमारी पीढ़ी भी प्राकृतिक जल स्रोतों का लाभ ले सकें।ग्राम प्रधान संगीता थपलियाल ने बताया कि ग्राम सभा क्षेत्र में मौजूद सभी प्राकृतिक जल स्रोतों का पँचायत के माध्यम से संरक्षण के प्रयास किये जायेंगे।