विश्व जैव विविधता दिवस पर पौधों पर बांधे रक्षा सूत्र

विश्व जैव विविधता दिवस पर पौधों पर बांधे रक्षा सूत्र

ऋषिकेश, विश्व जैव विविधता दिवस के अवसर पर श्यामपुर न्याय पँचायत की ग्राम सभा खदरी खड़क माफ जैव विविधता समिति के अध्यक्ष पर्यावरणविद विनोद जुगलान विप्र ने फलदार पौधों को रक्षा सूत्र बांध कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।उन्होंने बताया कि जैव विविधता को साधारण भाषा में अगर कहें तो जैवीय विविधता से है जिसमें विभिन्न प्रकार के जीव जन्तु और वनस्पति शामिल हैं।भारत जैव विविधता के मामले में एक सम्पन्न देश है किन्तु विकास कार्यों सहित वनों के असन्तुलित दोहन के कारण न केवल जैव विविधता प्रभावित हो गई है बल्कि पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है।आज के समय में जहाँ पूरा विश्व कोरोना महामारी से प्रभावित हुआ है वहीं दूसरी ओर इसके संक्रमण को रोकने के लिए लागू किये गये लॉक डाउन से प्रकृति पर पड़े सकारात्मक प्रभाव भी दिखने लगे हैं। निर्माणाधीन सड़कों के मलवे और होटलों से निकलने वाले गन्दे पानी पर लॉक डाउन के कारण लगी आकस्मिक रोक से गंगा जल पहले की अपेक्षा कई गुना निर्मल हुआ है।जिसको बनाये रखना न केवल सरकार की जिम्मेदारी है बल्कि आमजन को भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूक होने की आवश्यकता है।हम सब का कर्तव्य है कि हम पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेते हुए जैव विविधता के संरक्षण के प्रयास करें।इस अवसर पर पर्यावरणविद ने बताया कि भारत के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार अब तक हुई सर्वेक्षणों में भारत में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों की 46,412 किस्म की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।जबकि जीव जन्तुओं की 91 212 प्रजातियाँ खोजी गयी हैं।जिनमें 372 स्तनधारी, 1228 पक्षी,428 सरिसृप,204 उभचर,2546 मत्स्य प्रजातियाँ,5042 मोलास्क,10107 प्रोटोजोवा,57525 कीटों की प्रजातियां हैं।पर्यावरण को हो रहे नुकसान के कारण जीव जंतुओं सहित वनस्पति और पेड़ पौधों को भी नुकसान हो रहा है।यदि समय रहते जैवविविधता की इस संपदा का संरक्षण नहीं किया गया तो आने वाले समय में हमारी भावी पीढ़ियों को आकस्मिक बाढ़,सूखा भूकम्प जैसी विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं सहित जानलेवा बीमारियों से जूझना पड़ेगा।इस लिए हम सब का कर्तव्य है कि प्रकृति के संरक्षण को लेकर आगे आएं और अपनी भावी पीढ़ी को जैवविविधता की जानकारी देें।

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