आतंकवाद के विरुद्ध एकीकृत प्रयास जरूरी – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

आतंकवाद के विरुद्ध एकीकृत प्रयास जरूरी – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आतंकवाद विरोधी दिवस के अवसर पर संदेश देते हुये कहा कि अपने राष्ट्र में एकता, अखंडता और सम्प्रभुता को बनाये रखना भारत के हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होने कहा कि आतंक से कभी किसी का भला नहीं हुआ है, शान्ति ही एक मार्ग है जीवन जीने का।
आंतकवाद के कारण प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में जन और धन की हानि होती है इसलिये आतंकवाद के सभी रूप और अभिव्यक्तियाँ निंदनीय है। इसे किसी भी धर्म, सम्प्रदाय राष्ट्रीयता या सभ्यता से नहीं जोड़ा जाना चाहिये बल्कि आतंकवाद एक सोच का परिणाम है। आतंकवाद को समूल नष्ट करने के लिये विश्व के सभी राष्ट्रों को एक साथ आना होगा।
भारत आंतकवाद से पीड़ित राष्ट्रों में से एक है, आतंकवाद की समस्या वर्तमान समय में भले ही अन्य राष्ट्रों की न हो परन्तु भविष्य में उन राष्ट्र पर भी इसका असर पड़ सकता है इसलिये आंतक को बढ़ावा देने वाली विचारधारा और वित्तपोषण पर सभी राष्ट्रों को अकुंश लगाना होगा तथा एकीकृत प्रयास कर आतंक को समूल से नष्ट करना होगा क्योंकि ये घटनायें हमारे सौहार्द्र के प्रतिकूल है।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि भारत, सद्भाव, समरसता और सौहार्द्रता का संदेश देेने वाला राष्ट्र है अतः यहां पर निवास करने वाले लोग चाहे वे जिस भी राज्य के नागरिक हो उन्हें पाँचवाँ स्तंभ की भूमिका नहीं निभानी चाहिये। भारत ने हमेशा से अपने नागरिकों मेें बिना भेद किये सब कुछ दिया है अब हम सब की बारी है कम से कम हम अपने राष्ट्र के प्रति ईमानदारी पूर्ण व्यवहार तो कर ही सकते है। भारत के नागरिकों कि ईमानदारी और राष्ट्रीयता की भावना देश से हर आतंक को समाप्त कर सकती है।
वर्तमान समय में हम पर्यावराणीय आतंकवाद भी चारों ओर देख रहे है। प्राकृतिक जगत को जान-बूझ कर क्षति पहुंचाना ही पर्यावरणीय आतंकवाद है। पर्यावरणीय आतंक का ही असर है जो हम कोरोना के रूप में देख रहे है। कोरोना काल में जब पूरी दुनिया के अधिकांश लोग घरों में बंद है तो बाहर जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण में भारी कमी आयी है। प्रकृति, पर्यावरण और जल स्रोत अपने आप को स्वच्छ रख सकते है बस हमें अपनी गतिविधियों के द्वारा उन्हें प्रदूषित नहीं करना है।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि भारत की महान, विशाल और गौरवशाली संस्कृति, सभ्यता और विरासत है सदियों से हमने जो खोया उसका गम नहीं परन्तु जो बचा हुआ है वह किसी से कम नहीं, अभी भी इस देश के पास देने के लिये बहुत कुछ है। इस देश की विशालता हमें विरासत में मिली है इसे सम्भालें और बांटे। हमें इस देश की माटी से संस्कृति और संस्कार मिले है जिससे हम समृद्ध है। भारत ने हमें विराटता प्रदान की है और सर्वे भवन्तु सुखिनः, वसुधैव कुटुम्बकम की संस्कृति और संस्कार हमें मिले है इसके साथ आगे बढ़े। साथ ही एक-दूसरे को जोड़ते हुये और एक-दूसरे से जुड़़ते हुये अपने देश की महान विरासत को सबके साथ बांटे इसी संदेश को आत्मसात करते हुये आतंक को समूल नष्ट करने में अपना योगदान प्रदान करे।