दिव्यांग की एक आवाज पर कौवों का लग जाता है जमघट

दिव्यांग की एक आवाज पर कौवों का लग जाता है जमघट

ऋषिकेश-कोविड 19 कोरोना वायरस के कारण जहाँ व्यवस्थाएं बेहाल हो गयी हैं लोगों को दो वक्त का भोजन जुटाने को बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।वहीं दूसरी ओर श्यामपुर न्याय पँचायत की ग्रामसभा खदरी खड़क माफ स्थित वार्ड नम्बर पाँच में नेगी मोहल्ला निवासी करियाना की दुकान करने वाले दिव्यांग कुलदीप सिंह नेगी गामा की एक आवाज पर सैकड़ों कौवे एकत्र हो जाते हैं।इसका मुख्य कारण है कि वह अपनी दुकान का शटर खोलते ही सबसे पहले धूपबत्ती करने के साथ ही कौवों को नमकीन डालकर जिमाते हैं।हैरानी की बात है कि लॉक डाउन में जहाँ सब काम धंधे बन्द हो गए तो दिव्यांग को भी इस अवधि में दुकान बंद रखनी पड़ी लेकिन कौवों को भोजन देने का कार्य अनवरत जारी रहा।यही कारण है कि कौवों को प्यार से नमकीन दाना खिलाने वाले गामा को अब कौवे पहचानने लगे हैं और एक आवाज पर ही एकत्र होजाते हैं।करियाना स्टोर चलाने वाले कुलदीप सिंह गामा अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग खिलाड़ी रह चुके हैं और चीन में हुए दिव्यांग ओलंपियाड में गुच्ची में चैंपियनशिप जीत कर न केवल राज्य का बल्कि भारत का नाम रोशन कर चुके हैं।यद्यपि उन्हें गणतंत्र दिवस पर राजभवन से हर बार निमंत्रण मिलता है पर आजतक उन्हें सरकार की ओर से स्वरोजगार के लिए कोई आर्थिक सहायता या रोजगार प्राप्त नहीं हुआ है।शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रान्त पर्यावरण प्रमुख पर्यावरणविद विनोद जुगलान विप्र का कहना है कि हमारे देश में दिव्यांगों में प्रतिभाएँ भरी हुई हैं।ऐसे प्रतिभावान दिव्यांगों को अगर प्रोत्साहित किया जाए तो वे न केवल समाज का हिस्सा बनेंगे बल्कि उन्हें रोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाते हुए पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मामलों में योगदान दिया जा सकता है।सरकार को दिव्यांगों के प्रति न केवल सहानुभूति दिखानी चाहिए बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के भी प्रयास करने चाहिये।इसके साथ ही दिव्यांगों के प्रति ‘ हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि हम दया नहीं सहयोग की भावना को विकसित करें।

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