लॉक डाउन ने सिखाया संयुक्त परिवार में रहना

लॉक डाउन ने सिखाया संयुक्त परिवार में रहना

ऋषिकेश-कोरोना वायरस के संक्रमण के सम्भावित देश में लॉक डाउन की घोषणा के बाद पूरे देश में लगभग सभी उद्योगों को वायरस संक्रमण के संभावित बन्द करना पड़ा।नतीजन जो जहाँ थे वहीं रुकने पर मजबूर हो गए।जिन उद्योंगों को घर बैठकर चलाया जा सकता था उन्हें वर्क फ्रॉम होम की छूट दे दी गयी।ऐसे में अक्सर घर से कार्य स्थल पर जाने की भागमभाग से भी छुटकारा मिल गया।लोग लैपटॉप के सहारे घर बैठे ऑफिस का कार्य करने लगे तो सुविधानुसार समय प्रबंधन भी होगया।इससे न केवल भौतिकवाद के इस युग में अमूमन विघटित होते परिवारों के पारिवारिक सदस्यों को आपस में मेलजोल का समय मिल गया बल्कि लोग एक दूसरे की समस्याओं को पहले से बेहतर समझने लगे।ऐसे में घर परिवार में भौतिकतावाद में बिगड़ते रिश्तों और टूटते संयुक्त परिवारों को लॉक डाउन अवधि ने फिर से रिश्तों को गहराई से समझने और फिर से पास आने का अवसर दिया।यही नहीं ग्रामीण परिवेश और एकाकी परिवार में पले-बढ़े पर्यावरणविद विनोद जुगलान विप्र का कहना है कि अचानक देश में आये इस संकट ने लोगों को न केवल संयुक्त परिवार की जीवनशैली को समझने का अवसर दिया बल्कि सामाजिक तौर पर एक-दूसरे की व्यथा को समझते हुए मददगार बनने का भी अवसर प्रदान किया है।इससे जहाँ टूटते हुए परिवारों को संगठित होने में मदद मिलेगी वहीं देश को संकटकाल से उभरने के प्रबन्धन में इजाफा हुआ है।घर पर रहते हुए लोग रसोईघर के कार्यों में मदद कर रहे हैं वहीं स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों को घर रहते हुए पढ़ाई करने के साथ-साथ पारिवारिक सदस्यों को गहनता से समझने का भी अवसर मिल रहा है।बच्चे माता-पिता और अभिभावकों के साथ-साथ पास-पड़ोस को लेकर भी संवेदनशील होने लगे हैं और जरूरतमंदों की मदद को आगे आने लगे हैं।साथ ही लॉक डाउन जनशक्ति मार्ग निर्माण के नेतृत्व कारी बुंगा ग्राम सभा के क्षेत्र पँचायत सदस्य भूतपूर्व सैनिक सुदेश भट्ट का कहना है कि हमने सेना में रहते हुए युद्ध तो नहीं लड़ा लेकिन युद्ध जैसे कोरोना के संकटकाल में पर्वतारोहण में दूर दूर रहकर भी एक साथ चलने की कौशलता ने हमें दुर्गम्य पहाड़ी मार्ग के निर्माण को बनाने की प्रेरणा दी।जो ढाई किलोमीटर दूरी का बिरकाटल-मोहनचट्टी मार्ग राज्य स्थापना के 20 वर्षो बाद भी नहीं हो पाया वह हमारे ग्रामीणों ने पारिवारिक सदस्यों की तरह मिलकर एक माह में कड़ी मेहनत करते हुए शारीरिक दूरी का पालन करते हुए विश्व परिवार दिवस पर आज ही के दिन सुरक्षित और संगठित तरीके से पूर्ण कर डाला है। इससे यह सिद्ध होता है कि लॉक डाउन अवधि में संयुक्त परिवारों की अवधारणा फिर से विकसित होने लगी है।जो पूरे समाज को एक मजबूत सूत्र में संगठित होने की प्रेरणा देती है।

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