संकल्प के साथ बेजुबानों की सेवा कर रही सुरभि रावत

संकल्प के साथ बेजुबानों की सेवा कर रही सुरभि रावत
ऋषिकेश-अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के ऑपरेशन थिएटर में नर्सिंग इंचार्ज के पद पर कार्यरत सुरभि रावत न केवल मानव सेवा कर रही हैं बल्कि बेजुबान और बेसहारा गौवंशों की सेवा को भी अपना धर्म मानते हुए उनकी सेवा का संकल्प लिया है। मानव सेवा में ड्यूटी करने के उपरांत समय निकालकर वह पिछले एक साल से गायों की सेवा भी करती हैं।
पौड़ी गढ़वाल के ग्राम-कफलना निवासी सुरभि तीन बहिनों और एक भाई में सबसे बड़ी हैं।पिता सत्येन्द्र सिंह रावत भूतपूर्व सैनिक हैं।जबकि माता बीना रावत एक घरेलू महिला और गौ पालक हैं।यही कारण है कि सुरभि रावत को गायों के प्रति बचपन से ही प्रेम है।वर्तमान में वह जौलीग्रांट में अपने भाई बहिनों के साथ किराए के मकान में रहती हैं।उन्होंने गौसेवा के इस कार्य के लिए जॉली ग्रांट से ऋषिकेश तक जगह-जगह पानी और चारे की व्यवस्था की है।यही नहीं उन्होंने ऋषिकेश के विभिन्न स्थानों आवास विकास, भरत विहार कॉलोनी, ढाल वाला, उग्रसेन नगर, आम बाग सहित 25 से अधिक अनेक जगहों पर गोवंशों के लिए पानी और चारे की व्यवस्था के लिए जल-कुंड लगाए हैं। जिनकी वह स्वयं अपने कुछ साथियों के साथ देखभाल भी करती हैं। इसके साथ ही वह सड़कों पर घायल जानवरों को उचित स्थल तक पहुंचाने का कार्य भी करती हैं।इस नेक कार्य के लिए वह प्रतिदिन निस्वार्थ भाव से शिवाजी नगर स्थित मौनी बाबा गौशाला में जाकर उनकी मरहम पट्टी और दवाई भी करती हैं।प्रारम्भ में उन्होंने केवल स्वयं ही गौसेवा का बीड़ा उठाया था लेकिन समय बीतने के साथ गौ सेवा का एक समूह खुद ब खुद तैयार होता चला गया।गौ सेवा के इस निःस्वार्थ कार्य में उनके साथ तीन दर्जन से अधिक सहकर्मी सहयोग कर रहे हैं।सुरभि बताती हैं कि रानीपोखरी पेट्रोल पंप और पुलिस थाना से लेकर एम्स तक जिन स्थानों पर निराश्रित पशुओं के लिए चारा नाद और जल कुण्ड रखाये गये हैं उनमें दैनिक रूप से चारे पानी की व्यवस्था की जाती है।इसमें आसपास के निवासी पानी भरने का नित्य सहयोग करते हैं जबकि चारा चोकर,दलिया स्वयं उपलब्ध कराया जाता है।सहयोग करने वालों में उनके सहकर्मी सुरेश सैनी, मनोज, सीमा, अरविंद, ऋषभ, कन्हैया, रिचा आदि प्रमुख हैं! इस कार्य के लिए वह किसी से आर्थिक मदद नहीं लेती हैं,अपितु स्वयं इस कार्य को कार्यान्वित करती हैं। सुरभि रावत के इस कार्य के लिए उनके माता-पिता बीना रावत एवं सत्येंद्र सिंह रावत खुद को बहुत गौरवान्वित महसूस करते हैं।