भारतवर्ष की कुंडली मे कोरेना का लम्बा प्रभाव-आर्चाय द्वारिका प्रसाद भट्ट

भारतवर्ष की कुंडली मे कोरेना का लम्बा प्रभाव-आर्चाय द्वारिका प्रसाद भट्ट
ऋषिकेश-वैश्विक कोरेना महामारी को लेकर ज्योतिषाचार्य आचार्य द्वारिका प्रसाद भट्ट के हवाले से जानकारी देते हुए समाजसेवी डॉ राजे नेगी ने बताया कि ज्योतिष के अनुसार भारत वर्ष की जन्मकुंडली वृष लग्न की है, वर्ष 2020 में भारत मे नया सवंत्सर प्रमादी नाम का है जो की 25 अप्रैल से रेवती नक्षत्र में लग चुका है।इस सवंत्सर का नाम प्रमादी सवंत्सर है जो गुप्त व्याधियों का सवंत्सर है चूंकि भारतवर्ष की कुंडली वृष लग्न की है,लग्न में राहु वृष राशि है जो वर्तमान ग्रह गोचर में मिथुन राशि मे चल रहा है ।राहु छाया ग्रह है, राहु गुप्त रोगों को प्रकट करता है जो वर्तमान में चतुर्थ स्थान में होने के कारण अनेक प्राकृतिक आपदाएं तथा गुप्त रोग का कारक है ।पूरे भारतवर्ष में इस व्याधि से बड़ा बुरा असर पड़ेगा।22 सितंबर तक इस व्याधि का भारतवर्ष में बुरा प्रभाव पड़ेगा। 22 सितंबर से लेकर 10 नवंबर तक उतरते हुए इसका असर भारत में कम होता रहेगा तथा द्वितीय स्थान ज्योतिष में धन का भाव माना गया है, भारतवर्ष की कुंडली में मंगल धन भाव में है जो वर्तमान ग्रह गोचर में दशम भाव में मकर राशि का है इसमें चार ग्रहों का योग है शनि, चंद्रमा, मंगल तथा गुरु जो कि विष योग बना रहे शनि चंद्रमा की युक्ति के कारण, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था पर भारी मात्रा में प्रभाव पड़ेगा। 15 मार्च से लेकर 10 अगस्त तक अनेक प्राकृतिक उपद्रव होंगे जैसे भूकंप, बाढ़, बिजली गिरना,भूस्खलन, जन- मानस, पशु इत्यादि की हानि होना। कृषि के क्षेत्र में भी इस वर्ष भारी नुकसान की आशंका रहेगी, इस समय भारत की अर्थव्यवस्था (जीडीपी) वर्ष 2020- 21 दो से डेढ़ प्रतिशत तक रहने का अनुमान है तथा तृतीय भाव में पांच ग्रहों का योग है सूर्य, चंद्रमा, शुक्र, बुध, शनि यह घातक योग है, सूर्य शनि एक साथ रहने पर भारत में शत्रु प्रकोप बढ़ेगा। इसमें तांबा, लोहा, पेट्रोल ,डीजल, बिजली उत्पादन के मूल्य दर में कमी आएगी। सोना,चांदी एवं खाद्य सामग्री के मूल्यों में वृद्धि होगी। भारत की कुंडली में सप्तम भाव में केतु है जो वर्तमान गोचर में अष्टम भाव में धनु राशि का है धनु राशि पर साढ़ेसाती का अंतिम चरण है अष्टम भाव को ज्योतिष में मृत्यु का कारक माना गया है ।इस व्याधि से ग्रसित रोगों की संख्या 10 अक्टूबर तक रहेगी। इस व्याधि का पूर्ण निराकरण निराकरण 14 जनवरी 2021 तक होगा।लेकिन 22 सितंबर के बाद भारत में इसका प्रभाव कम हो जाएगा।