मांं ईश्वर का सबसे खूबसूरत सिग्नेचर-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

मांं ईश्वर का सबसे खूबसूरत सिग्नेचर-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 10 मई। परमार्थ निकेतन में आज का दिन माँ, मातृभूमि, मातृभाषा और माता धरती को समर्पित किया। परमार्थ प्रांगण में मातृदिवस के अवसर पर रूद्राक्ष का पौधा रोपित किया गया। स्वामी चिदानंद ने कहा कि माँ, बच्चे को जन्म तो देती है साथ ही पोषण भी करती है। इस प्रकार हम सभी अपनी माँ के साथ मातृभूमि, माता धरती और मातृभाषा से पोषित हुये हैं।इनके अभाव में हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते इसलिये माता के लिये एक दिन नहीं बल्कि पूरा जीवन समर्पित हो।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि भारत की संस्कृति में तो हर दिन ही, हर पल ही माँ के लिये है। वह कौन सा पल है, जब माँ समर्पित नहीं होती है। बच्चों के लिये माँ ही उसकी जन्नत होती है,बच्चे का पूरा संसार होती है। दुनिया का सबसे ताकतवर शब्द है माँ। ’माँ’ केवल एक शब्द नहीं बल्कि अपने आप में पूरा महाकाव्य है।जीवन का सर्वोत्तम विश्वविद्यालय है। माँ का स्वरूप असीम प्रेम, त्याग, समर्पण, सेवा, सहनशीलता, और अपार श्रद्धा की परिपूर्ण है। माँ के जीवन का आधार ही सहजता, वात्सल्य और प्रेम है। माँ, ममता की मूर्ति है, जिसने माँ को जाऩ लिया उसने मानों पूरे जगत को जाऩ लिया। माँ ही तो बच्चों को असली उड़ान देती है और एक नई पीढ़ी का निर्माण करती। एक अबोध बालक के लिये माँ ही सम्पूर्ण सृष्टि होती है जहां बालक निर्भय होकर पलता रहता है।

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