वैश्विक स्तर पर सेवा के क्षेत्र में रेडक्राॅस का उत्कृष्ट योगदान -चिदानंद मुनि

वैश्विक स्तर पर सेवा के क्षेत्र में रेडक्राॅस का उत्कृष्ट योगदान -चिदानंद मुनि
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने रेडक्राॅस दिवस पर दिया संदेश
सभी राष्ट्र कोरोना मुक्त विश्व के निर्माण हेतु मिलकर कदम बढ़ायें
परमार्थ निकेतन में सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुये मनायी नारद जयंती
कोरोना के कारण अगर एक भी जान जाती है तो वह महज एक आंकड़ा नहीं बल्कि एक ज़िन्दगी है – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश-आज अतंरराष्ट्रीय रेडक्राॅस दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि वैश्विक स्तर पर सेवा के क्षेत्र में रेडक्राॅस का उत्कृष्ट योगदान है।
रेड क्रॉस एक अंतर्राष्ट्रीय मानवीय नेटवर्क है, जिसकी स्थापना 1863 में स्विटजरलैंड में की गई थी, जो आपदाओं, सशस्त्र संघर्ष और स्वास्थ्य संकटों के शिकार लोगों को सहायता प्रदान करते हैं। रेड क्रॉस 1859 में जब उद्योगपति हेनरी डुनेंट ने इटली में सोलफेरिनो की लड़ाई के खूनी परिणाम को देखा, जिसमें घायल सैनिकों के लिए बहुत कम चिकित्सा सहायता थी। तब हेनरी ने राष्ट्रीय राहत संगठनों की स्थापना के लिए वकालत की, जो प्रशिक्षित स्वयंसेवकों से बने थे, जो युद्ध में घायल सैनिकों को सहायता की पेशकश कर सकते थे, चाहे वे किस भी पक्ष से हों।स्वामी चिदानंद ने कहा कि रेडक्राॅस की तरह ही निष्काम सेवा के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) का महत्वपूर्ण योगदान है। आरएसएस द्वारा वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से बिना भेदभाव के लगन के साथ जो कार्य किये जा रहे हैं वह वास्तव में अनुकरणीय है और अभिनन्दनीय है। आरएसएस के लाखों स्वयं सेवक तन, मन और धन से सेवा कर रहे हैं। इस समय जब पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी के संकट में है तब देश और देशवासियों को इस संकट से बाहर निकालने के लिये ऐसी सेवाभावी संस्थाओं की ही जरूरत है। स्वामी जी ने आह्वान किया कि देश की सक्षम संस्थायें आगे आयें ताकि देश इस महामारी पर शीघ्र विजय प्राप्त कर सके।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि विश्व को कोरोना मुक्त करने के लिये एप्पल और गूगल जैसी संस्थायें एक साथ आ सकती हैं तो क्यो न हमारे देश की सारी छोटी-बड़ी संस्थायें कोरोना पर विजय प्राप्त करने के लिये एकजुट हों। सभी संस्थायें मिलकर मानवता के लिये कार्य करें तो बहुत बड़ा परिवर्तन हो सकता है। उन्होेंने कहा कि ’’मानव-मानव एक समान, सब के भीतर है भगवान’’ मानव सेवा के लिये आगे आयें क्योंकि मानव की सेवा ही माधव की सेवा है। कोरोना के कारण अगर एक भी जान जाती है तो वह महज एक आंकड़ा नहीं बल्कि एक ज़िन्दगी है।
परमार्थ निकेतन में सोशल डिसटेंसिंग के साथ नारद जयंती भी मनायी गयी। कोरोना संकट के समय सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स के शारीरिक व मानसिक स्वस्थ्य तथा उनके मनोबल को मजबूत रखने के लिये विशेष प्रार्थना और हवन किया गया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज नारद जयंती के अवसर पर परमार्थ निकेतन में लाॅकडाउन के पहले से निवास कर रहे पर्यटकों को नारद महिमा के बारे में बताते हुये कहा कि नारद जी एक अद्भुत संदेशवाहक है, वे देवताओं के संदेशवाहक भी बनें और हमारी संस्कृति के पैरोकार भी बनें। देवताओं को सूचना देने वाले भी वही और सूचना रचने वाले भी वही थे। नारद जी ने जो भी दिया वह सब उद्धार के लिये था, किसी को शाप से मुक्त करने के लिये तो किसी को पाप से मुक्त करने के लिये। उन्होने जो भी किया वह उद्धार के लिये किया, कभी भी प्रहार नहीं किया। आज कई बार हम प्रहार करने के लिये भी लिखते है, हमारी कलम न प्रहार करने के लिये हो न वार करने के लिये हो, जो भी लिखे वह संहार न करे बल्कि निर्माण करें।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि आज मैं अपने पत्रकार भाईयों से भी कहना चाहता हूँ कि यह संकट का काल है कोरोना को देखते हुये कुछ ऐसा लिखे कि जनमानस सचमुच अपने पर्यावरण के प्रति जागृत हो जाये।इस समय सभी को जगाने का धर्म है तथा इस समय तो जीवित रहने का धर्म आ गया है। जीवन बचेगा तो बहुत कुछ बचेगा इसलिये अपने कलम से पर्यावरण के लिये लिखे, प्रकृति के लिखे, जीवन के लिखे।