सतयुग में जैसे गंगा बहती थी आज वैसे ही गंगा बह रही है – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

सतयुग में जैसे गंगा बहती थी आज वैसे ही गंगा बह रही है – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन आश्रम में गंगा सप्तमी के पावन अवसर पर प्रतिवर्ष कई आध्यात्मिक और पर्यावरणीय गतिविधियों का आयोजन किया जाता रहा है परन्तु इस लाॅकडाउन के समय कोरोना वायरस के कारण पूरे विश्व में उत्पन्न संकट से मुक्ति के लिये विशेष प्रार्थना की गयी। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने गंगा स्नान कर माँ गंगा की पूजा अर्चना एवं अभिषेक किया।

 

 

परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने गंगा सप्तमी के महत्व की महिमा बताते हुये कहा कि वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन भगवान ब्रह्म जी के कमण्डल से माँ गंगा की उत्पत्ति हुई थी। आज के दिन ब्रह्म जी के कमण्डल से शिव की जटाओं में उतरी थी गंगा। इसी तिथि को भगीरथ जी के तप से प्रसन्न होकर माँ गंगा भगवान शिव की जटाओं में समाहित हो गयी थी। गंगा पृथ्वी पर पृथ्वी वासियों का उद्धार करने आयी थी, उनकी सुख समृद्धि के लिये गंगा का प्राकट्य हुआ था। माँ गंगा भारतीयों की आस्था के साथ भारत की जीवन रेखा भी हैं।परमार्थ परिवार के सदस्यों ने सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुये माँ गंगा में स्नान किया तत्पश्चात गंगा पूजन, कोरोना वायरस के मुक्ति हेतु हवन किया। सांयकालीन भजन एवं सत्संग संध्या में विशेष मंत्रों का जप और गंगा लहरी का पाठ किया गया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कोरोना से मुक्ति तथा पूरे विश्व के शान्ति के लिये माँ गंगा से प्रार्थना की। साथ ही कोरोना वाॅरियर्स के उत्तम शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की कामना करते हुये कहा कि कहा कि हमारे कोरोना वाॅरियर्स स्वस्थ रहेंगे तो देश स्वस्थ रहेगा। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिये माँ गंगा से विशेष प्रार्थना करते हुये कहा कि यह भारत का सौभाग्य है कि भारत को एक ऐसे प्रधानमंत्री मिले जो योगी हैं,कर्मयोगी हैं,फकीर हैं।वे अपने लिये नहीं बल्कि अपनों के लिये पूरे भारत के लिये और भारतीय संस्कृति के लिये जीते हैं। स्वामी चिदानंद ने कहा कि 1960 के दशक में जिस तरह गंगा थी आज हमें उसी तरह निर्मल माँ गंगा के दर्शन हो रहे हैं। मुझे तो ऐसे लग रहा है जैसे कि सतयुग में जैसे गंगा बहती थी आज वैसे ही बह रही है। उन्होने कहा कि लोग अक्सर सोचते थे कि क्या हम कभी माँ गंगा के स्वच्छ और निर्मल स्वरूप को देख पायेंगे परन्तु कोरोना वायरस के कारण हुये लाॅकडाउन ने वह दिन दिखा दिया। कोरोना वायरस ने हमें यह सिखा दिया कि गंगा को स्वच्छ करने की जरूरत नहीं है, जरूरत है तो केवल उसमें गंदगी न डाले। गंदगी नहीं जायेंगी तो गंगा अपने आप स्वच्छ रहेगी जैसे आज है इसलिये सभी नागरिकों, नगर पंचायतों, नगरपालिकाओं, नगर निगमों, उद्योगों और अन्य सभी की यह जिम्मेदारी बनती है कि अब कोरोना जैसी शामत फिर न आये इस आफत से राहत पाने का एक ही तरीका है कि अब हम सभी मिलकर अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करे।पावन पर्व पर उन्होंने पूरे विश्व की मंगल कामना करते हुये माँ गंगा का पूजन किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: