अक्षय तृतीया पर्व पर परमार्थ परम अध्यक्ष चिदानंद मुनि महाराज ने की विश्व शान्ति की प्रार्थना

अक्षय तृतीया पर्व पर परमार्थ परम अध्यक्ष चिदानंद मुनि महाराज ने की विश्व शान्ति की प्रार्थना
ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने देशवासियों को अक्षय तृतीया की शुभकामनायें देते हुये कहा कि अक्षय तृतीया घर पर रहकर अपने परिवार के साथ मनायें। वैश्विक महामारी कोविड – 19 से बचने के लिये लाॅकडाउन और सोशल डिसटेंसिंग का गंभीरता से पालन करें।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने देशवासियों की सुरक्षा के लिये सही समय पर लाॅकडाउन का फैसला लिया, अब हम सभी देशवासियों का कर्तव्य है कि इसका पालन हम गंभीरता से करें। अगर लाॅकडाउन का फैसला तत्काल न लिया गया होता तो भारत में आज कोरोना संक्रमण के जो आकंड़े हैं, वह इससे दस गुणा या और भी अधिक होते। हम आज देख रहे हैं कि पश्चिम के कई देश जो कि सक्षम हैं, उनकी स्वास्थ्य सेवायें उत्तम दर्जे की हैं फिर भी वहां पर कोरोना वायरस का खतरा अत्यधिक है, उसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि वहां पर लाॅकडाउन का फैसला देरी से लिया गया। भारत के प्रधानमंत्री ने लाॅकडाउन का फैसला सही समय पर लिया और देशवासी भी उसका पालन धैर्य के साथ कर रहे हैं ।परन्तु अभी हम सभी को और धैर्य दिखाने की जरूरत है तभी हम इस कोरोना वायरस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। हम सब देशवासी यह निश्चय कर लें कि अभाव में रह लेंगे लेकिन कोरोना को नहीं फैलने देंगे तो सच मानें हम इस महामारी पर शीघ्र ही विजय प्राप्त कर सकते हैं।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ’’अक्षय तृतीया हो या आखातीज, एक मंगलमय मुहूर्त है जो जीवन को मजबूती देने वाला सफलता प्रदान करने वाला और मंगल प्रदान करने वाला है। इस समय लोग अक्सर शादियों की बातें शुरू करते हैं या फिर खरीदारी की शुरूआत करते हैं। शादी का मुहूर्त या अन्य कोई मुहूर्त हो मुझे लगता है, हमें एक बात का ध्यान रखना है कि जब शादियां होने लगती है तो बाल विवाह भी होने लगते हैं, ऐसे बाल विवाहों को हमें रोकना है क्योंकि यह मानवीय अधिकारों का उल्लंघन है और गैरकानूनी भी है। 18 वर्ष की आयु से कम लड़कियां और 21 वर्ष की आयु से कम लड़के, ऐसे बच्चों की जब शादी होती है तो यह ना तो शारीरिक रूप से विकसित होते हैं न ही मानसिक रूप से इसका परिणाम यह होता है कि ऐसी शादी से जो बच्चे होते हैं वह कमजोर पैदा होते हैं। जल्दी शादी के कारण मां-बाप पढ – लिख नहीं पाते जिससे वह अपने बच्चों को भी नहीं पढ़ा पाते। यह कोई मजबूरी नहीं है बल्कि बचपन में शादी ना करें यह जरूरी है। हम सबको इस बात का ध्यान देना होगा की ’’बचपन की शादी जीवन की बर्बादी’’, छोटी सी उम्र और इतना सारा भार, आप सोचिए तो सही! इसीलिए मुझे लगता है इस पर हम सबको जोर देना है।स्वामी चिदानंद ने कहा कि ’’बाल विवाह ना हो’’ यह माता-पिता को समझाना है। माता-पिता समझते हैं बेटी तो पराया धन है। बेटियां पराया धन नहीं है बल्कि ’’जिसके पास बेटी है वह धन्य है’’। यह मानना कि इसे जल्दी बिदा कर दें अन्यथा बड़ी हो जाएगी तो ज्यादा धन देना होगा, ज्यादा दहेज देना होगा यह सारी मिथ्या कल्पनाएं है। जहाँ तक दहेज की बात है यदि इतना पैसा आप बेटी का पढ़ाई पर लगा देवें तो ये बहुत ही बड़ा पुण्य होगा।बेटी पढ़ा कर देखिए। आपको कितना गर्व होगा। उसको पराया धन ना माने उसे पढ़ाईयें आगे बढ़ाईयें।