नवरात्र विश्राम होते ही मछली पकड़ने लगे लोग,ज्यादातर महिलाएं शामिल मुठ्ठी भर अनाज और दाल से नही बुझ रही पेट की आग

Dainik yog nagari news
ऋषिकेश-आई डी पी एल वीरभद्र के निकट कृष्णा नगर लेबर कालोनी को कुछ माह पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री ने बेशक नगर निगम में शामिल करने की घोषणा कर दी हो,पर यहां रहने वालों की स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है।यद्यपि राज्य सरकार द्वारा लॉक डाउन में राशन वितरण का कार्य जारी है किन्तु लेबर कालोनी सहित गांवों में मजदूरों की स्थिति बहुत ठीक नहीं है इसका मुख्य कारण है कि राशन में गेहूं चावल के साथ प्रति राशनकार्ड सिर्फ दो किलोग्राम दालें शामिल हैं जो कि एक परिवार के लिए एक माह के लिए पर्याप्त नहीं हैं।ऐसे में मजदूरों को सब्जियों के लिए जल-जंगल पर आश्रित होना पड़ रहा है।लेबर कालोनी सहित आसपास के मजदूरों को लक्कड़ घाट के समीप जंगल से सब्जी के लिए सहजन के फूल और सेंभल के फूल तोड़कर लाते देखा गया है।जबकि नवरात्रि के विश्राम होते ही कुछ मजदूर मच्छर दानी से छोटी-छोटी मछलियां पकड़ते दिखाई दिए।हैरानी की बात यह है कि पुलिस और वन कर्मियों द्वारा पकड़े जाने के भय से इनमें पुरूष कम और महिलाओं की संख्या अधिक है।ये मजदूर सुबह रात खुलते ही नदियों की ओर रुख कर लेते हैं


और दस बजते ही वापस अपनी बस्तियों को लौट जाते हैं।गौतलब है कि खदरी में भी राशनकार्ड रहित कुछ प्रवासी मजदूरों के घरों में राशन की कमी की खबर मिलने पर कुछ जागरूक स्थानीय व्यक्तियों ने एक वाट्सएप ग्रुप बनाकर ऐसे मजदूरों को चिन्हित कर उनके राशन का प्रबंध कर राशन वितरित किया,इसमें आटा-चावल,दाल-आलू,नमक-मिर्च,हल्दी-मसाले सहित खाद्य तेल शामिल किया गया था।समाजसेवी विनोद जुगलान विप्र ने कहा कि राज्य में लॉक डाउन की स्थिति बने रहने तक राज्य सरकार को राशन वितरण में खाद्य तेल सहित नमक-मिर्च सहित आलू-प्याज या न्यूट्री सहित सुखी सब्जियों का वितरण कर इस समस्या से निबटा जा सकता है,क्योंकि एक माह बाद गेंहूँ की फसल कटाई से राशन की समस्या पर कुछ हद तक ग्रामीण क्षेत्र में नियंत्रण पाया जा सकेगा और तब तक हालात भी सुधरने लगेंगे।संकट की इस घड़ी में सभी सक्षम लोग जरूरत मन्दों की मदद को आगे आकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।साथ ही अपना हिस्सा मिल-बांटकर खाएँ ताकि कोई भी भूखा न सोये।

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